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________________ 302 तु-V. iii. 68 (किञ्चित् न्यून' अर्थ में वर्तमान सबन्त से विकल्प से बेहुच प्रत्यय होता है और वह सुबन्त से पूर्व में) ही (होता (अनादि अर्थात् इष्ठन, इमनिच तथा ईयसुन् प्रत्यय होते है)। तः-VI. iv. 154 तृ का (लोप होता है; इष्छन्, इमनिच् तथा ईयसुन् परे रहते)। तुक्-VI.1.69 . (हस्वान्त धातु को णित् तथा कृत् प्रत्यय के परे रहते) तुक् का आगम होता है। तुक्-VIII. I. 31 (पदान्त नकार को शकार परे रहते विकल्प से) तुक् आगम होता है। ...तुको: - VI.1.83 देखें - पत्वतुकोः VI. 1.83 तुप्रात् - IV. iv. 115 (सप्तमीसमर्थ) तुम शब्द से (वेद-विषयक भवार्थ में घन प्रत्यय होता है)। ...तुग्विधिषु - VIII. I. 2 . देखें-सुपवर VIII. ii.2 तजादीनाम - तुज के प्रकार वाली धातुओं के (अभ्यास को दीर्घ होता तु-VI.1.96 ' (आमेडितसञ्जक जो अव्यक्तानुकरण का अत् शब्द, उसे इति परे रहते पररूप एकादेश नहीं होता) किन्तु (जो उस आमेडित का अन्त्य तकार,उसको विकल्प से पररूप एकादेश होता है,संहिता के विषय में)। तु.. - VI. iii. 132 देखें-तुनुघम० VI. iil. 132 तु.. - VII. I. 35 देखें - तुह्यो: VII. 1.35 ...तु... - VII. II.9 देखें-तितुत्र VII. 1.9 तु-VII. iii.3 (पदान्त यकार तथा वकार से उत्तर जित.णित, कित, तद्धित परे रहते अङ्ग के अचों में आदि अच् को वृद्धि नहीं होती. किन्तु उन यकार, वकार से पूर्व) तो (क्रमशः ऐच-ऐ, औ आगम होता है)। तु-VII. iii. 26 (अर्ध शब्द से उत्तर परिमाणवाची उत्तरपद को अचों में आदि अच् को वृद्धि होती है, पूर्वपद को) तो (विकल्प से होती है; जित, णित् तथा कित् तद्धित के परे रहते)। तु... - VII. iii.95 देखें - तुरुस्तु० VII. iii. 95 तु... -VIII. 1.39 देखें - तुपश्यपश्यताहै: VHI. I. 39 तु-VIII. 1.2 (यहाँ से आगे जिसको रु विधान करेंगे, उससे पूर्व के वर्ण को) तो विकल्प से अनुनासिक आदेश होता है,एसा अधिकार इस रुत्व-विधान के प्रकरण में समझना चाहिये)। .. तुः-V. iii. 59 (वेदविषय में) तृन्, तृच् अन्तवाले प्रातिपदिकों से : तुद् - IV.in: 15 (कालविशेषवाची श्वस् प्रातिपदिक से विकल्प से ठञ् प्रत्यय होता है, तथा उस प्रत्यय को) तुट का आगम भी होता है। तुट् - IV. iii. 23 (कालवाची सायं,चिरं,प्रा,प्रगे. तथा अव्यय प्रातिपदिकों से ट्यु तथा ट्युल प्रत्यय होते हैं तथा इन प्रत्ययों को) तुट आगम (भी) होता है। ...तुद... -III. ii. 182 देखें -दाम्नी III. ii. 182 तुदः -III. ii. 35 'तुद्' धातु से (विधु और अरुस् कर्म उपपद रहते 'ख' प्रत्यय होता है)।
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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