SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 300
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ णच् 282 ...णि... णच -III. iii.43 णमुल्कमुलौ -III. iv. 12 (क्रिया का अदल-बदल गम्यमान हो तो स्त्रीलिङ्ग में. (शक्नोति' धात उपपद हो तो वेद-विषय में धातु से) धातु से कर्तृभिन्न कारक संज्ञा तथा भाव में) णच् प्रत्यय णमुल तथा कमुल प्रत्यय होते हैं। . होता है। णयतौ - V.1.97 णच:-V..iv. 14 (तृतीयासमर्थ यथाकथाच तथा हस्त प्रातिपदिकों से णयत्ययान्त प्रातिपदिक से (स्वार्थ में अब प्रत्यय होता दिया जाता है' और 'कार्य' अर्थों में यथासङ्ख्य करके है; स्त्रीलिङ्ग में)। ण और यत् प्रत्यय होते हैं। णढौ -v.i. 10 णल्... -III. iv. 82 (चतुर्थीसमर्थ सर्व तथा पुरुष प्रातिपदिकों से 'हित' अर्थ देखें - णलतुसुस III. iv. 82 में यथासङ्ख्य) ण तथा ढञ् प्रत्यय होते हैं। .. णल्-VII.1.91 णफिौ -IV.i. 150 (उत्तमपुरुष-सम्बन्धी) णल् प्रत्यय (विकल्प से णित्वत् . (सौवीर गोत्रवाचक फाण्टाहृति तथा मिमत शब्दों से) होता है)। ण तथा फिज् प्रत्यय होते हैं। ...णल्... - VII. iii. 85 णमुल... - III. iv. 12 देखें - अविचिण्णY VII. 1.85 देखें - णमुल्कमुलौ III. iv. 12 णल: - VII. I. 34 णमुल् - III. iv. 22 (आकारान्त अङ्ग से उत्तर) णल् के स्थान में (औकारादेश (पौन:पुन्य अर्थ में समानकर्तृक दो धातुओं में जो पूर्व- हो जाता है)। कालिक, उससे) णमुल् प्रत्यय होता है, (चकार से क्त्वा णलतुसुस्थलथुसणल्वमा: - III. ii. 82 भी होता है)। (लिट् लकार के परस्मैपदसंज्ञक जो 9 तिबादि आदेश, णमुल्-III. iv. 26 उनके स्थान में यथासङ्ख्य करके) णल,अतुस,उस्,थल, (स्वादुवाची शब्दों के उपपद रहते समानकर्तृक पूर्व- अथुस्, अ,णल, व,म-ये आदेश हो जाते हैं। कालिक कृञ् धातु से) णमुल् प्रत्यय होता है। ..णलो: - VII. I. 32 णमुलि - VI. i. 52 देखें - अविण्णलो: VII. III. 32. (अपपूर्वक 'गुरी उद्यमने' धातु के एच के स्थान में) णमुल ...णश... - II. iv. 80 प्रत्यय के परे रहते (विकल्प से आत्व हो जाता है)। देखें-घसहरणश II. iv. 80 णमुलि - VI.i. 188 ....णान्ता -I..24 णमुल् प्रत्यय के परे रहते (पूर्व धातु को विकल्प से देखें-ष्णान्ता I. 1. 24 आधुदात्त होता है)। णि... - III. I. 48 ... णमुलो : -VI. iv.93 देखें-णिश्रिदु० III. I. 48 देखें - चिण्णमुलो: VI. iv. 93 णि... -III. iii. 107 ....णमुलो: - VII. I. 69 देखें- ण्यासश्रन्थः III. Iii. 107 देखें - चिण्णमुलो: VII. i. 69 ...णि... - VII. II.5 ...णमुलौ - III. iv. 59 देखें-हम्यन्तक्षण VII. 1.5 देखें - क्त्वाणमुलौ III. iv. 59
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy