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________________ छन्दसि 259 छन्दसि -VIII. iv. 25 ....छन्न.. -VII. ii. 27 वेद-विषय में (ऋकारान्त अवगृह्यमाण पूर्वपद से उत्तर देखें-दान्तशान्त VII. 1. 27 नकार को णकारादेश होता है)। छवि-VIII. iii.7 ....छन्दसो... - IV.i. 29 (प्रशान् को छोड़कर नकारान्त पद को अम्परक) छव 'देखें-संज्ञाछन्दसोः IV. .29 प्रत्याहार परे रहते (रु होता है,संहिता में)। ...छन्दसोः.. - VI. ii. 62 ...छसौ...-IV.ii. 114 देखें-संज्ञाछन्दसो: VI. iii. 62 देखें-ठक्छसौ IV.H. 114छन्दसः - IV. iv.93 छस्य -VI. iv. 153 (तृतीयासमर्थ) छन्दस् प्रातिपदिक से (बनाया हुआ (बिल्वकादि शब्दों से उत्तर भसञ्जक) छ का (लुक् होता अर्थ में यत् प्रत्यय होता है)। छन्दसः -IV.ii. 54 ...छ... -II. iv.78 (प्रथमासमर्थ) छन्दोवाची प्रातिपदिकों से (षष्ठ्यर्थ में देखें-प्राधेट्शाच्छासः II. iv. 78 यथाविहित- अण् प्रत्यय होता है,प्रगाथों के अभिधेय होने ...छा... -VII. li.37 पर,यदि वह प्रथमासमर्थ छन्दस् आदि आरम्भ में हो)। देखें-शाच्छासाO VIL. I. 37 छन्दसः - IV. iii. 71 छात्र्यादयः -VI. 1.86 (षष्ठी-सप्तमीसमर्थ व्याख्यातव्यनाम) छन्दस् प्रातिप- (शाला शब्द उत्तरपद रहते) छात्रि आदि शब्दों को दिक से (भव और व्याख्यान अर्थों में यत् और यण प्रत्यय (आधुदात्त होता है)। होते है)। छादेः -VI. iv. 96 छन्दोग... -IV. iii. 128 (जो दो उपसर्गों से युक्त नहीं है,ऐसे) छादि अङ्ग की देखें-छन्दोगौक्थिक IV. iii. 128 (उपधा को घ प्रत्यय परे रहने पर हस्व होता है)। . छन्दोगौक्थिकयाज्ञिकबहवचनटात् - IV. iii. 128 छाया-II. Iv. 22 (षष्ठीसमर्थ) छन्दोग,औक्थिक,याज्ञिक,बहुच और नट ___(नकर्मधारयवर्जित) छायान्त (तत्पुरुष नपुंसकलिंग में होता है,बाहुल्य गम्यमान होने पर)। प्रातिपदिकों से (इदम्' अर्थ में ज्य प्रत्यय होता है)। ...छाया... -II. iv. 25 औक्थिक= उक्थ मन्त्रों को बोलनेवाला ब्राह्मण । देखें-सेनासुराच्छायाo II. iv. 25 छान्दोनाम्नि-III. li. 34 ....छाये -VI. 1. 14 (वि पूर्वक स्तब धात से) छन्द का नाम (विष्टारपङक्ति देखें-मात्रोपज्ञोपO VI. ii. 14 आदि की कर्तभिन्न कारक संज्ञा तथा भाव) में (अब प्रत्यय ...छिद... -III. ii. 61 होता है)। देखें-सत्सू III. ii. 61 छन्दोनाम्नि-VIII. iii. 94 ....छिदे... -III. 1. 162 देखें-विदिभिदिच्छिदेः III. 1. 162 कन्ट का नाम कहना हो तो (भी विष्टार शब्द में षत्व ...छिद्र...-VI. iii. 114 निपातन किया जाता है)। देखें- अविष्टाष्टO VI. Iii. 114 छन्दोब्राह्मणानि-V.ii. 65 ...छिन्न...-VI. 1. 114 (प्रोक्त-प्रत्ययान्त) छन्द और ब्राह्मणवाची शब्द (अध्येत. देखें- अविष्टाष्टO VI. III. 114 वेदित प्रत्ययविषयक होते हैं,अन्य प्रोक्त-प्रत्ययान्त शब्दों ...छुराम्... - VIII. ii. 79 का केवल प्रोक्त अर्थ मात्र में भी प्रयोग होता है)। -भकुछराम् VIII. 1.79
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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