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________________ ...महि.. 196 ...अहि... -I. ii. 8 ग्रामकोटाभ्याम् - V. iv.95 देखें- रुदविदमुषपहिस्वपिप्रच्छ: I. ii. 8 ग्राम तथा कौट शब्दों से उत्तर (तक्षन् शब्दान्त तत्पुरुष ...अहि... - III. 1. 134 से भी समासान्त टच् प्रत्यय होता है)। कौट = कुटी अथवा पर्वत में होने वाला। देखें- नन्दिप्रहिO III. I. 134 ग्रामजनपदाख्यानचानराटेषु - VI. i. 103 अहि... - VI.1.16 ग्राम,जनपद तथा आख्यानवाची शब्दों के उपपद रहते देखें- अहिज्या० VI.i. 16 तथा चानराट शब्द के उपपद रहते (दिशावाची पूर्वपद अहिज्यावयिव्यधिवष्टिविचतिवश्वतिपृच्छतिभृज्जतीनाम् शब्दों को अन्तोदात्त होता है)। -VI.i. 16 ग्रामजनपदैकदेशात् - IV. iii.7 ग्रह,ज्या, वय,व्यध, वश,व्यच ओवश्च,प्रच्छ, प्रस् __ग्राम के अवयव-वाची तथा जनपद के अवयववाची इन धातुओं को (सम्प्रसारण हो जाता है, ङित् तथा कित्। प्रत्यय के परे रहते)। (दिशापूर्वपद वाले अर्धान्त) प्रातिपदिक से (शैषिक अञ् तथा ठञ् प्रत्यय होते हैं)। ग्रहे: -III.i. 118 ग्रामजनबन्धुभ्यः -IV. 1.42 . . . प्रति और अपि उपसर्ग पूर्वक ग्रह धातु से (क्यप् प्रत्यय होता है)। (षष्ठीसमर्थ) माम,जन,बन्धु प्रातिपदिकों से (समूह अर्थ ..हो - III. iv. 39 में तल् प्रत्यय होता है)। -वर्तिग्रहो: III. iv. 39 ग्रामणी: -v.ii.78 . ...महो: -III. iv.58 (प्रथमासमर्थ प्रातिपदिक से षष्ठ्यर्थ में कन् प्रत्यय होता : है); यदि वह प्रथमासमर्थ प्रातिपदिक ग्राम का मुखिया हो देखें- आदिशिग्रहोः III. iv. 58 तो। ग्राम... - IV. ii. 43 ...ग्रामण्योः - VII. 1.56 देखें - ग्रामजनबन्धु० IV. II. 43 देखें - श्रीप्रामण्यो: VII. 1.56 ...प्राम.. - IV.ii. 141 ग्रामनगराणाम् - VII. iii. 14 देखें-कन्यापलद० IV. ii. 141 (दिशावाची शब्दों से उत्तर प्राच्य देश में वर्तमान) ग्राम ग्राम... -IV. iii.7 तथा नगरवाची शब्दों के (अच् में आदि अच् को तद्धित देखें- ग्रामजनपदैकदेशात् IV. iii.7 जित, णित् तथा कित् प्रत्यय परे रहते वृद्धि होती है)। ग्राम... - V. iv.95 प्रामात् - IV.1.93 देखें-ग्रामकौटाभ्याम् V. iv.95 ग्राम शब्द से (य और खञ् प्रत्यय होते हैं)। ग्राम.. - VI.ii. 103 ग्रामात् - IV. iii. 61 (परि.अनुपूर्वक अव्ययीभावसंज्ञक) ग्रामशब्दान्त (सप्तदेखें - ग्रामजनपदा० VI. ii. 103 मीसमर्थ) प्रातिपदिक से (भव अर्थ में ठञ् प्रत्यय होता ग्राम-VII. I. 14 देखें-ग्रामनगराणाम् VII. iii. 14 ग्रामे - VI. 1.84 ग्रामः-VI. 1.62 शिल्पीवाची शब्द उत्तरपद रहते) ग्राम पर्वपद को ग्राम शब्द उत्तरपद रहते (पूर्वपद को आधुदात्त होता है. (विकल्प से प्रकृतिस्वर होता है)। यदि पूर्वपदं निवास करने वाले को न कहता हो तो)।
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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