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________________ क्रीडा... क्रीडा... - II. ii. 17 देखें - क्रीडाजीविकयोः II. ii. 17 क्रीडाजीविकयोः - II. ii. 17 क्रीडा और जीविका अर्थ में (षष्ठ्यन्त सुबन्त अक् अन्त वाले सुबन्त के साथ नित्य ही समास को प्राप्त होता है, और वह तत्पुरुष समास होता है) 1 क्रीडायाम् - IV. ii. 56 (प्रथमासमर्थ प्रहरण समानाधिकरण वाले प्रातिपदिकों से सप्तम्यर्थ में ण प्रत्यय होता है, यदि 'अस्यां ' से) निर्दिष्ट क्रीडा हो । 176 क्रीतात् - IV. 1.50 (करणकारक पूर्व वाले) क्रीत - शब्दान्त अनुपसर्जन प्रातिपदिक से (स्त्रीलिङ्ग में ङीष् प्रत्यय होता है) । क्रीतात् - V. 1. 1 (यहाँ से आगे) 'तेन क्रीतम्' इस सूत्र से पहले पहले के कहे हुये अर्थों में (छ' प्रत्यय अधिकृत होता है)। ... क्रीताः देखें - मन्तिन् VI. ii. 151 क्रु... - III. ii. 174 देखें - क्रुक्लुकनौ III. ii. 174 • VI. ii. 151 - कुक्लुकनौ – III. 1. 174 - (भी धातु से तच्छीलादि कर्ता हो, तो वर्तमानकाल में) क्रु तथा क्लुकन् प्रत्यय हो जाते हैं। ... कुङ्... - VI. 1. 176 देखें - गोवन् VI. 1. 176 क्रीडायाम् - VI. ii. 74 (प्राग्देश-निवासियों की) जो क्रीडा, तद्वाची समास में (अकप्रत्ययान्त शब्द के उत्तरपद रहते पूर्वपद को आधुदात होता है। ... क्री.... - IV. iii. 38 देखें - कृतलब्धक्रीतo IV. iii. 38 क्रीतम् - V. 1. 36 (तृतीयासमर्थ प्रातिपदिक से) ‘खरीदा गया' अर्थ में क्रुधद्नुहो (यथाविहित प्रत्यय होते हैं)। • क्रीतवत् - IV. iii. 153. (षष्ठीसमर्थ परिमाणवाची प्रातिपदिकों से) क्रीतार्थ में कहे गये प्रत्यय (विकार तथा अवयव अर्थों में भी होते हैं) । ... कुञ्चाम् - देखें - ऋत्विग् III. ii. 59 - III. ii. 59 क्रोडादिव्य क्रुध ... - I. iv. 37 देखें - कुधदुहेर्थ्यासूयार्थानाम् I. iv. 37 क्रुध ... - I. iv. 38 देखें - क्रुधद्रुहो: I. iv. 38 क्रुध ... - III. ii. 151 देखें - क्रुधमण्डार्थेभ्य: III. ii. 151 क्रुधदुहेर्ष्यासूयार्थानाम् - I. iv. 37 क्रुध, द्रुह, ईर्ष्या, असूया - इन अर्थों वाली धातुओं के (प्रयोग में जिसके ऊपर कोप किया जाये, उस कारक की सम्प्रदान संज्ञा होती है)। -I. iv. 38 (उपसर्ग से युक्त) क्रुध तथा द्रुह धातु के प्रयोग में ( जिसके प्रति कोप किया जाय, उस कारक की कर्म संज्ञा होती है)। क्रुधमण्डार्थेभ्यः - III. ii. 151 क्रोधार्थक और मण्डार्थक धातुओं से (भी तच्छीलादि कर्ता हो, तो वर्तमान काल में युच् प्रत्यय होता है) । .. क्रुशो: - III. ii. 147 देखें- देविक्रुशो III. ii. 147 क्रो: - I. iv. 53 देखें - हक्रो: I. iv. 53 क्रोडादि... - IV. 1.56 देखें - क्रोडादिबह्वचः IV. 1. 56 क्रोडादिबह्वचः - IV. 1. 56 क्रोडादि (स्वाङ्गवाची उपसर्जन तथा ) अनेक अच् वाले (अदन्त स्वाङ्गवाची उपसर्जन जिनके अन्त में हैं, उन ) प्रातिपदिकों से (स्त्रीलिङ्ग में ङीष् प्रत्यय नहीं होता है)।
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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