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________________ ...कुसीदानाम् कुसीद = व्याज ...कुसीदानाम् -V.1.37 देखें-वृषाकप्यग्नि V.I.37 कुसूल... -VI. II. 102 देखें-कुसूलकूप० VI. Iii. 102 कुसूलकूपकुम्मशालम् -VI. II. 102 बिल शब्द उत्तरपद रहते कुसूल, कूप, कुम्भ,शालाइन पूर्वपदस्थित शब्दों को (अन्तोदात्त होता है)। कुसूल = अन्न रखने का पात्र, कुठला। कुस्तुम्बुरुणि-VI. 1. 138 कस्तम्बरु शब्द में (तकार से पूर्व सट आगम निपातन किया जाता है,यदि वह जाति अर्थ वाला हो तो)। कुस्तुम्बुरु = ओषधि विशेष ...कुह... -VI.1.210 देखें-त्यागराग० VI.I. 210 कुहो: - VII. IN.62 (अभ्यास के) कवर्ग तथा हकार को (चवर्ग आदेश होता ...कूलम् -IV. iv. 28 देखें-ईपलोमकूलम् IV. iv. 28 कूलसूदस्थलकर्णः -VI. 1. 129 (सज्जाविषय में) कुल,सूद,स्थल,कर्ष- इन उत्तरपद शब्दों को (तत्पुरुष समास में आधदात होता है)। कले-III. 1. 31 'कूल' कर्म उपपद रहते (उत् पूर्वक रुज् और वह धातु से 'खश्' प्रत्यय होता है)। ....कृ... -II. iv. 80 देखें-घसरणश II. iv.80 कृ...-III. 1.59 देखें-कमद II. 1. 59 क...-III. 1. 120 देखें-कृत्योः III. 1. 120 कृ...-III. IN.61 देखें-कृथ्वोः III. iv.61 क... - V. iv. 50 देखे-कवस्ति०V. iv. 50, ...क... -VI. iv. 102 देखें-अणु. VI. iv. 102 क..-VII. II.13.. देखें-कसम VII. II. 13 कृ... - VIII. Iii. 46 देखें-ककमि VIII. III.46 कृकर्ण... -IV. 1. 144 देखें - कुकर्णपर्णात् IV. 1. 144 कृकर्णपर्णात् - IV. ii. 144 (भारद्वाज देश में वर्तमान) जो कुकर्ण तथा पर्ण प्रातिपदिक, उनसे (शैषिक छ प्रत्यय होता है)। कमिकंसकुम्भपात्रकुशाकर्णीषु - VIII. III. 46. (अकार से उत्तर समास में जो अनुत्तरपदस्थ अनव्यय का विसर्जनीय उसको नित्य ही सकारादेश होता है); कृ, कमि, कंस, कुम्भ, पात्र, कुशा, कर्णी - इन शब्दों के परे रहते। ...कच्छ्र... -II. Iil. 33 देखें - स्तोकाल्पकच्छ II. I. 33 . ...कूवारात् -V.1.94 . देखें-तूदीशलातुov.ii.94 ..कूप.. -VI. 1. 102 देखे-कुसूलकूप. VI. II. 102 कूपेषु - IV.II. 72 (बहुत अच् वाले प्रातिपदिकों से) कुएं को कहना हो (तो चातुरर्थिक अञ् प्रत्यय होता है)। ...कूल..-III. ii. 42 देखें- सर्वकूला III. Hi: 42 कूल... - VI. I. 121 देखें-कलतीर० VI. 1. 121 कूल... - VI. II. 129 देखें-कूलसूदO VI. II. 129 कूलतीरतूलमूलशालाक्षसमम् - VI. I. 121 कूल, तीर, तूल, मूल,शाला, अक्ष, सम - इन उत्तरपद शब्दों को (अव्ययीभाव समास में आधुदात्त होता है)।
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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