SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 79
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ७३. अमरतेज धर्मबुद्धि रास, रत्नविमलोपाध्याय / कनकसार उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १९वीं, अ., ह.रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ७४. अमरदत्त मित्रानन्द रास, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७४९ पाटण, 'आदि-श्री सरसति मतिदायिनी ..., अन्त - भावचंद सूरीसकृत श्री शांतिनाथ चरित्र...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग - २, पृ. ९४, भाग-३, पृ. ११५७ ७५. अमरदत्त मित्रानन्द रास, यशोलाभगणि / गुणसेनगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं, ' आदि - स्वस्ति श्री जिनवर सकल... गा. अपूर्ण', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ७६. अमरदत्त मित्रानन्द रास, लक्ष्मीप्रभोपाध्याय / कनकसोमगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६७६, अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ९७७ ७७. अमरसेन जयसेन चौपाई, धर्मसमुद्रगणि / विवेकसिंहगणि पिप्पलक, रास चौपई, राजस्थानी, १६वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ७८. अमरसेन जयसेन रास, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७५९ पाटण, 'आदि-श्री शंखेश्वर पास प्रभु..., अन्त - निधि पांडव भक्ष संवत्सरे...', अ., उ. जैन गुर्जर कवि भाग-२, पृ. ११० ७९. अमरसेन वयरसेन चौपाई, जयरङ्ग उ० (जैतसी) / पुण्यकलशगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७०० जैसलमेर, 'आदि-जिनमुख कमल विलासिनी..., अन्त - संवत सतरइ देवाली दिनइरे...', अ., ह. अभय ग्र., , बीकानेर ८०. अमरसेन वयरसेन चौपाई, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७४४ पाटण, ‘अन्त-युगवेद मुनि शशि वछरई...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग - ३, पृ. ११५६ ८१. अमरसेन वयरसेन चौपाई, दयासारगणि / धर्मकीर्त्तिगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७०६ शीतपुर, अ., क्षमाकल्याण संग्रह, बीकानेर ८२. अमरसेन वयरसेन चौपाई, धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७२४ सरसा, 'आदि - अक्षर राजा जिम अधिक..., अन्त - गरुओ श्री खरतरगच्छ गाजे...', अ., ह. क्षमाकल्याण संग्रह, बीकानेर ८३. अमरसेन वयरसेन चौपाई, पुण्यकीर्त्तिगणि / हंसप्रमोद उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६६६ सांगानेर, अ., ह. फूलचन्दजी झावक, फलौदी ८४ अमरसेन वयरसेन चौपाई, राजशीलोपाध्याय / साधुहर्ष उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १५९४, 'आदि-प्रणमउ श्री जिनपास..., अन्त - खरतरगच्छ गुरु महिमावंत...', अ., उ. जैन गुर्जर विभाग - ३, पृ. ५४० ८५. अमरसेन वयरसेन सन्धि, रङ्गकुशलगणि / कनकसोमगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६४४ सांगानेर, ‘आदि-श्री जिन मुख वासिनि समरिज्जइ ..., अन्त - संवत सोल वरसि चमालइ ...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर Jain Education International खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only 9 www.jainelibrary.org
SR No.016106
Book TitleKhartargaccha Sahitya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy