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________________ ३३. अञ्जनासुन्दरी चौपई, जिनोदयसूरि / जिनसुन्दरसूरि बेगड़, रास चौपई, राजस्थानी, १७७३, अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर ३४. अञ्जनासुन्दरी चौपई, कमलहर्ष वा. / मानविजय वा., रास चौपई, राजस्थानी, १७७३, अ., ह. महिमाभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर, आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर ३५. अञ्जनासुन्दरी प्रबन्ध, गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ० , रास चौपई, राजस्थानी, १६६२, _ 'अन्त-श्री खरतरगछि प्रगट पडूरि', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३६. अञ्जनासुन्दरी रास, पुण्यभुवन / जिनरङ्गसूरि, रास चौपई, राजस्थानी, १६८४ उदयपुर, 'आदि-श्री गणधर गौतम प्रमुख..., अन्त–अञ्जना केरीय चोपई...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-१, पृ. ५३३, भाग-३, पृ. १५१८ ३७. अञ्जनासुन्दरी रास, भुवनकीर्त्ति उ० / ज्ञाननंदी उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७०६ उदयपुर, 'आदि-करतां सगली साधना..., अन्त–महावीर राजान तणै...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर १६४४८ ३८. अठारह नात्रा चौपई, हीरकलशोपाध्याय / हर्षप्रभ उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६१६, 'आदि–वीर जिणेसर पय नमिय..., अन्त–संवत सोलह सइ सोलोत्तर... गा. ५३', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जयपुर, विनय. प्रतिलिपि ३९. अतिमुक्तक चरित्र, पूर्णभद्रगणि / जिनपतिसूरि, चरित्र, संस्कृत, १२८२, 'आदि श्रीमद्विश्वत्रयीनाथं नाथं..., अन्त–श्रीमत्प्रह्लादनपुरे पूर्णभद्रो...', मु., जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., सूरत, ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १७३० ४०. अध्यात्म अनुभव योगप्रकाश, चिदानन्द द्वि., अध्यात्म, हिन्दी, १९५५ जावद, 'अन्त श्रीवर्द्धमान शासनपति...', मु. अभयदेवसूरि ग्र., बीकानेर ४१. अध्यात्मगीता, देवचन्द्रोपाध्याय / दीपचन्द्र उ०, अध्यात्म, राजस्थानी, १८वीं लीबड़ी, 'आदि-प्रणमीए विश्व हित जैन वाणि..., अन्त-आत्मगुण रमण करवा...', मु., अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मण्डल, पादरा ४२. अध्यात्मगीता बालावबोध, ज्ञानसारोपाध्याय / रत्नराज उ०, अध्यात्म, राजस्थानी, १८८० बीकानेर, 'अन्त-नभगज द्विप ससि तेरसे...', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. २८१ ४३. अध्यात्मप्रबोध, देवचन्द्रोपाध्याय / दीपचन्द्र उ०, अध्यात्म, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. हितविजय भं., घाणेराव, अभय ग्र., बीकानेर प्रतिलिपि ४४. अध्यात्म रास (अध्यात्मकल्पद्रुम चौपई), रङ्गविलास / जिनचन्द्रसूरि (जिनसागरसूरि शाखा), रास चौपई, राजस्थानी, १७७७, 'आदि-परम पुरुष परमेसर रूप..., अन्त-लिख्यो शास्त्र भाषापणे...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ, भाग-२, पृ. ५३४ ४५. अध्यात्मशान्तरसवर्णन, देवचन्द्रोपाध्याय / दीपचन्द्र उ०, अध्यात्म, राजस्थानी, १८वीं, अ. खरतरगच्छ साहित्य कोश Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016106
Book TitleKhartargaccha Sahitya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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