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________________ ६५५९. साहेली हे सागरसूरि वांदियइ... ३७०१. सिंध काबिल अंग बंग... ६४७९. सिंधु सोवीरइ वीतभउ रे... ६५६०. सिणगार करउ रे साहेलड़ी रे... ५२२९. सिणगार सार बनाई सुन्दर... ४०११. सिद्धक्षेत्र शत्रुञ्जय शिखरे... ६१४८. सिद्धचक्र नित्य वंदीयै रै लो... ३९३८. सिद्धचक्र फल दाखव्योजी... ३६१५. सिद्धचक्र भजोनी भविकजन... ६३५५. सिद्ध परम पद वंदौ रे लाल... ४०४५. सिद्धय राजन राज... ५०४३. सिद्ध सवेनई करुं प्रणाम... ३५५१. सिद्धाचल श्री नाभिराय... ३९९७. सिद्धाचल सेवू सदा... ५९८९. सिद्धाचल हो तीरथ राय... ३९४७. सिद्धारथकुल दिनमणि... ३९७१. सिद्धारथ कुल दिनमणि... ५९५५. सिद्धारथ नन्दन नमूं... ३४७५. सिधि बुधि दाता समरियइ... ३६७५. सिरि अमरसरि गुरुराज सोहइ... ३७६८. सिरि रिसह सामि नाम लेवा... ४४३२. सिरि वीर पद दिणयर... ३९४०. सिरि सिद्धचक्क सेवो भवियां... ५३९७. सिरसो देव पयास करे... ३८१७. सिवसुह कारण जग आनन्दण... ५४३०. सीख कहूं ते सांभलि माई... ४१६१. सीख भली इक सांभलो... ४७२९. सीख सुणउ प्रीउ माहरी रे... ६७९८. सीतानइ संदेसउ रामजी... ५०३९. सीमंधर की सरस सलूणी... ६८७१. सीमंधर जिन सांभलउ... ४८५०. सीमंधर पहिलउ जिनराय... ३९६८. सीमंधर युगमंधर... ३७६६. सीलइ सवि सुख पामीयइ... ४२६०. सुकलीणी प्रिउ नइ कहइ... ५१०४. सुकृत कल्पतरु श्रेणिनी... ३८७७. सुकृत कीधउ मई भवि पहिलइ... ३४५५. सुक्रत प्रेम राजी बने... ४६४७. सुखकरण दुःखहरण सुजस धावण... ३८५६. सुखकरण श्री शांति जिणेसरु... ४०७७. सुखकर नाम श्रेयांस... . ४०१९. सुखकारण भवियण... ४९९५. सुखकारी जिनदत्त सुगुरु बलिहारी... ५७८२. सुखदाइ मूरत वीर की... ५६३५. सुखदाइ दादो जी सेवकां... ६८१९. सुखदाई रे सुखदाई रे.... ४३६१. सुखदायक लायक सुगुण... ४८६८. सुखदायक संभव जिन सेवीयइ... ३२७२. सुखदायक हो चिंतामणि सामकि.... ४३४४. सुख लोभी प्राणी सांभलउ जी... ३२३९. सुख संपति दायिक जग त्रय नायक... ४७३०. सुख संपत्ति दायक सुरनरनायक... ४३६४. सुगुण अजित, जिनवर गुण... ३५८३. सुगुण नर श्रीजिन गुणमान... ४१०५. सुगुण सनेही जिनजी.... ४४८२. सुगुण सनेही साँवला... ४७७०. सुगुण सनेही साहिब सांभलि.... ६२४४. सुगुण सहेजा मेरा आतम... ५२६५. सुगुण सुज्ञानी स्वामिने जी... ३८६५. सगण सोभागी हो साहिब म्हारा...' ३७४७. सुगुरु कइ दरसण कइ बलिहारी ३७४९. सुगुरु कउ दरसण दिन प्रति... ५६४६. सुगुरु की वाणी सुणउ... ३२१३. सुगुरु कुशलसूरिंद सेवो... ३७८३. सुगुरु के पणमो भवियण पाया. ३९४८. सुगुरु चरण प्रणमी करी जी... ३९६४. सुगुरु चरण प्रणमी करी जी... ६७८८. सुगुरु चिर प्रतपे तूं कोडि वरीस... ६७९२. सुगुरु जिणचंद सौभाग सखरौ लियो... ६१९९. सुगुरु जिनदत्त... ५३४५. सुगुरुजी मच्छर... ४१५८. सुगुरुजी समर्या... ४५७१. सुगुरुजी सेवक... ३२१४. सुगुरु तै देव साचा है... तृतीय परिशिष्ट Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016106
Book TitleKhartargaccha Sahitya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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