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________________ ५९२३. ४६७०. ६३५१. जाऊं पूज म्हांरी... वारि वारी जाऊं गुरु राय.... वारी जाऊंरे ए गिरिमहि राजा... ५००९. वालिम मोरा ने समझावो रे.... ४३९२. वाल्हा आज सफल दिन ऊगीयो... ४३९३. वाल्हा सांभलि सेवक वीनती... ४७७८. वाल्हेसर सुणि वीनति हो माहरा .... ४६४३. वासदेव हेव उच्छव करे... ३९८६. वासुपूज्य जिन अन्तरजामी... ३९७८. वासुपूज्य जिनवर नमूं ... ३९८४. वासुपूज्य जिनेसर वन्दु मन धरि नेह.... ३४६१. वंदामि नेमिनाहं पंचम गइ .... ७११५. विघ्न हरण... ४८०२ . विजय चिन्तामणि पास जुहारीयइ... ४२२८. विजय विदेह परगडउ ... ३२६२. विण अवगुण मोहि नाह विसारी... विण अपराध तजि मुंनइ बालंम... ४२०३. विणजारा तूं परदेसइ जाय... ६६५३. ४२५९. विणजारा रे वालंभ सुणि..... ४०७२. विणमइ जगगुरु भावो ... ६१३३. विणस जाय कागज की गुड़िया .... ४२४९. विदेसी मेरे आइ घर मांहि .... ५८७३. विद्यानांकुल मेदिनी नवनमो... ५९२५. विनय करेजो साधो विनय करेजो... ३८७१. विनय विवेक विचार ... ४३८६. विनय सजी ने साहिबा जी वीनवुं .... ६२४३. विपुल विमल अविचल अमल... ३२६३. विभचारी भयो मेरो बालमीयो.... ५२९२. विमलगिरि क्युं न भयों हम मोर... ४६३२. विमलगिरि तीरथ भेटीयइ जी.... ६८९४. विमलगिरि शिखर गजराज... ६८०६. विमलनाथ सुणो वीनति.... ३७५७. विमल मइदायङ्ग विमल जिणणायङ्ग.... ३२१५. विमलवाहिनी वर दीयै... ४६३३. विमलाचल तीरथ वासी जी... ५१४५. विमलाचलमण्डण जिनवर आदि जीणंद... ४६१५. विमलाचल साहिब सांभलउ... ७११९. विरदे वखाणीजै जी भावप्रमोद.... ६९१५. विलसे ऋद्धि समृद्धि... ४४०८. विवेकी मन शुद्ध समता.... ५६४९. विवेकी मन शुद्धि समता सूं राख .... ६६१२. विहरंता जिनराय... ६४४९. विहरण बेला पांगुरह्यो हां.... ६४५०. विहरण वेला रिषि पांगुरय्यो... ४८४९. विहरमाण प्रणमुं मनरंगइ... ४१२२. विहरमान जिन वीसै वंदियै .... ६८७०. विहरमान सीमंधर सामी... ४९८२. विषम अतिप्रीत निभाना हो.... M ५१२०. विषयन को परसंग चेतन.... ४३६५. विश्वनायक लायक... ४५६९. वीनतडी सुण.... ५५७४. वीनतड़ी अवधारो.... ४४६५. वीनती एक अवधारौ .... ६२३५. वीनती सुणो रे मांहरा वाल्हा..... ४७०८. वीनवइ राजुल बाल वीनतड़ी... ३९७५. वीर आषाढ़ सुदि छठी स्वर्गथी चविया ईश..... ५७७०. वीर कहइ शालिभद्र ... ५४६०. वीर कहइ श्रीमुखसुं... ४६६६. वीर कहे गोतम सुणो.... ४७२५. वीर कहे गौतम सुणो... ५५९६. वीर जिणंद... ४५२६. वीर जिणंद अभिग्रह धरी... ५५९९. वीर जिणंद अभिग्रह धरी... ४४४४. वीर जिणंद अभिग्रह धरी रे.... ६१४४. वीरजिणंद नी वाणी... ६०२४. वीर जिणंद वांदीनइ गौतम गोचरीई संचरिया... ६६२३. वीर जिणंद समोसरया जी.... ३७५३. वीर जिणिंद जुहारीयइ ए.... ३९५७. वीर जिनेसर अलवेसर प्रभु सांभलो... ४०२९. वीर जिणेसर उपदेसई... ३९५६. वीर जिणेसर जग अलवेसर... ५११६. वीर जिणेसर जग उपकार .... ३९५८. वीर जिणेसर जगधणी.... ३९७२. वीर जिणेसर जगधणी... ६०६ Jain Education International For Personal & Private Use Only तृतीय परिशिष्ट www.jainelibrary.org
SR No.016106
Book TitleKhartargaccha Sahitya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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