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________________ ५५८४. आणंद सुख हुआ... .. ४२४१. आणंदानंद... ५१८८. आणी आणी अधिक उमाह... ६०७३. आणी मन अविचल आस्ता... ६७०८. आणी मन सुधी आसता... ३१२१. आतम अनुभव रस पीजीये... ६९६८. आतम उलंभा तोहि आवै... ५११५. आतमभावे रमो हो चेतन... ४२५५. आतम मृगमद आफलै... ६००३. आतम मृगमद आफलै... ५०३८. आतम रूप अजाण न जाणूं निजपणुं... ३५५७. आतम संपत्ति अधिपति रे... ४०३१. आदन तइ शासन शोभ चढ़ाई... ४९३२. आदि अजित... ३८४२. आदिकरण अलवेसर नाभिनंदन... ५७१९. आदिकुमारी आदि लगी... ३३११. आदि जिणंद मया करो... ४६०९. आदि जिणेसर आज निहाल्या... ७०७४. आदि जिणेसर पयनमी... . ४६१०. आदिजिन जाऊं हूँ बलिहारी... ६२७६. आदिनाथ जिनराज काटो भवपाश... ३५२५. आदि पुरुष अलवेसरु... ३९८९. आदिसर अलवेसर जगपति... ५१९८. आदि ही कौ तीर्थंकर... ३९५०. आदीसर अलवेसरने नमीरे.. ३५१३. आदीसर जिनराज... ३४३६. आदीसर पहिल... ५२११. आदीसर पहिलो अरिहंत... ५३०३. आदीसर हो सोवनकाय... ४९५७. आन जगाई हो विवेक सुहागनि... ३१३९. आनन्दघन उपगारी निरंतर... ६४२८. आनन्द रङ्ग बधाई... ३४४३. आप रहो दिल बाग में... ३८७०. आबुय ऊपरि आदिजिन... ५१८०. आबू आज्यो रे आबू आज्यो... ४४१६. आबू तीरथ परगडौ... ६४७४. आबू तीरथ भेटियउ... ६४६०. आबू परवत रूड्यउ आदिसर... ४९५८. आम थयूं छै काम रे भाई... ४५८२. आपके दर्शन बिना... ७०८६. आया रहियोजी... ५८२४. आया शरण... ५०४८. आया श्री गुरुराय... ५९९७. आयेगा आयेगा... ६६०५. आये तीन जणे व्यापारी... .. ४९५९. आये मोहन मेरे... ४९६०. आये हो भये भोर भले ही... ६५२६. आयो आयो जी समरंता दादौ... ३२७४. आयो री भैरव भूपाला... ४०८७. आयो सहु श्री संघ... . ७०२८. आरती करत जिनेश्वर की... ७०८४. आरती कीजे कुशल... ४५८९. आरती हर गुरु... ७१०७. आरम्भ थारा ईश्वर नर कुण लखें नरांण... ३२३४. आराधो भवि भावै अहनिसै रे... ६९५२. आलसि तजि उठि प्रह समै... ४९६१. आलिजा नै थारी चाह धणी छै.... ५६४२. आली धन धन... ४३३५. आली धन वो प्रिय धन वा प्यारी... ४३१५. आली प्रीउ की पतियां हम न बची... ४३५३. आली मत आपउ परवसि पारइ... ५६७०. आलीरी देखौ... ६९८९. आवउजी म्हारइ पूज इणि देसउइ रे... ६६८६. आवउ देव जुहारउरे अजाहरउ पास... ६५६८. आवउ सुगुण साहेलड़ी... ६२४६. आवउ हो इस रिति हितसई... ६८७५. आवत मुनि के भेखि देखि... ५५४४. आवो मेरी गोद... ३३५०. आवो सजन करो... ४९३०. आवो हे सहियां आज श्री लौद्रपुरे... ५६४७. आवौ नइ जावौ... ५५४१. आव्या स्वामी सम्भार लई...' ५०७३. आव्यो छु आज... ४४१९. आशा सफल फली... ५७६ Jain Education International तृतीय परिशिष्ट For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016106
Book TitleKhartargaccha Sahitya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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