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________________ ६८६१. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, सामान्य जिन गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, __'आदि-हरखिया सुरनर किन्नर सुन्दर... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २२१ ६८६२. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, सामान्य जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, _१७वीं, 'आदि-शरण ग्रही प्रभु तारी... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २१९ ६८६३. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, सामायिक गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि–सामायिक मन सुद्धे करउ... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४६५ ६८६४. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, सिद्धान्त श्रद्धा सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-आज आधार छइ सूत्रनउ... गा. ६', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४७७ ६८६५. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, सीमन्धर जिन गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-पूरव महाविदेह रे... गा. ६', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४९ ६८६६. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, सीमन्धर जिन गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सामि सीमंधरा तुम्ह मिलिवा... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ५० ६८६७. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, सीमन्धर जिन गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-स्वामि तारि नइ रे मुझ परम दयाल... गा.७', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४८ ६८६८. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, सीमन्धर जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-चंदालाइ एक करूं अरदास चंदा... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४७ ६८६९. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, सीमन्धर जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, - १७वीं, आदि-धन धन क्षेत्र महाविदेह... गा. ९', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४६ ६८७०. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, सीमन्धर जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, ___ १७वीं, 'आदि-विहरमान सीमंधर सामी... गा. ६', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४७ ६८७१. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, सीमन्धर जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-सीमंधर जिन सांभलउ... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४८ ६८७२. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, सुकोशल साधु गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-साकेत नगर सुखकंद रे... गा.६', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३२० ६८७३. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, सुमतिनाथ बृहत्स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-प्रह ऊठी नइ प्रणमुं पाय... गा. १३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ९२ ६८७४. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, सूता जगावण गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-जागि जागि जागि भाई जागि... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४२७ ६८७५. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, स्थूलिभद्र गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-आवत मुनि के भेखि देखि... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३०८ 503 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Jain Education International. www.jainelibrary.org
SR No.016106
Book TitleKhartargaccha Sahitya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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