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________________ ६८३५. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, श्रावक दिनकृत्य कुलक, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-श्रावक नी करणी सांभलउ... गा. १४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४६६ ६८३६. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, श्रावक मनोरथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-श्री जिनसासन हो भेट्यउ ए सहु... गा.६', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४७८ ६८३७. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, श्री संघ गुण गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-संघ गिरुयउ रे श्री संघ गुणे... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४७६ ६८३८. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, श्रेणिक राय गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-प्रभु नरक पडतउ राखियई... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३०७ ६८३९. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, संघपति सोमजी वेलि, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-संघपति सोम तणउ जस... गा. १०', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४१५ ६८४०. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, संदेह गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि - करम अचेतन किम हुयउ करता... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४४२ ६८४१. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, संयती साधु गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, _ 'आदि-कंपिल्लानगरी धणी... गा. ११', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३२१ ६८४२. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, सती अञ्जनासुन्दरी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-अंजना सुन्दरी शील बखाणी... गा. ११', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३२२ ६८४३. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, सती ऋषिदत्ता गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-रुक्मिणी नइ परणवा चाल्यउ... गा. १७', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३२५ ६८४४. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, सती कलावती गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-बांधव मूक्या बहिरखा रे... गा. ७', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ.३३३ ६८४५. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, सती चेलणा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, . 'आदि-वीर वांदी वलतां थकां जी... गा.७', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३३७ ६८४६. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, सती दमयंती भास, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-नल दवदंती नीसरया... ६', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३३१ ६८४७. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, सती द्रौपदी भास, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ___ 'आदि-पांच भरतारी नारी द्रूपदी रे... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३४२ खरतरगच्छ साहित्य कोश 501 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016106
Book TitleKhartargaccha Sahitya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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