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________________ ३९२५. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, चन्द्रप्रभु स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, १९४५ वर्धा, 'आदि-श्रीचन्द्रप्रभुसाहिबा... गा. ८', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. २५५ ३९२६. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, चैत्रीपूर्णिमास्तुति, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि श्री सिद्धाचलतीरथसेवो... गा. ४', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. ३८८ ३९२७. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, जम्बूद्वीप सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, २०वीं, आदि जंबुद्वीप सोहामणो रे लाल... गा. ७', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. ३८३ ३९२८. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, जामनगर धर्मनाथ स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, १९६७, _ 'आदि-धर्मजिनेसर जगधणी... गा.७', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. २६१ ३९२९. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, जामनगर धर्मनाथ स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि-भवीयां भावधरिने भेटो भगवानने... गा. ८', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. २६० ३९३०. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि-सद्गुरु न्यारा रे... गा. ११', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ६१ ३९३१. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, दस अच्छेरा सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, २०वीं, __'आदि-अरिहंत देवने नमन करीने... गा. १२', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. ३८० ३९३२. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, दादागुरु स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि सद्गुरु म्हारां रे मोहनगारा रे... गा. ११', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. ३७९ ३९३३. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, दीवाली सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, २०वीं, आदि - हारे मारे दीवाली दिन आव्यो सजनी जाणवो... गा. १४', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. ३२२ ३९३४. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, दीवाली स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि वर्द्धमानजिनचंद कुं... गा. ३२', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. १७७ ३९३५. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, धुलेवा ऋषभदेव स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि-थांपर वारी हो जिनजी... गा. ११', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. १८१ ३९३६. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, नवपद चैत्यवंदन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, आदि ___श्री अरिहंत ना बार गुण... गा. ३', मु., बृहद्स्त वनावली, पृ. ३९१ ३९३७. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, नवपद बृहद् स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, १९७५, 'आदि-अरिहंतादिक पद तणो... गा. ३३', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. १६९ ३९३८. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, नवपद सज्झाय, सज्झाय, हिन्दी, २०वीं, 'आदि सिद्धचक्र फल दाखव्योजी... गा. ९', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. ३७० ३९३९. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, नवपद स्तुति, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि-श्री सिद्धचक्क सुहंकर जाणो... गा. ४', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. १८६ . ३९४०. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, नवपद स्तुति, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि सिरिसिद्धचक्क सेवो भवियां... गा. ४', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. ३८७ 291 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.016106
Book TitleKhartargaccha Sahitya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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