SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 334
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३५०५. केशरीचन्द / जिनमहेन्द्रसूरि, वीस स्थानक स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८९८ फलौदी, ___'आदि-वीस स्थानक तप सेवीये... २१', मु., बृहत्स्तवनावली, पृ. १०४ ३५०६. केशवदास / लावण्य रत्न, चौबीस जिन सवैया, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'गा. २५', अ. ३५०७. केशवदास / लावण्य रत्न, बारहमासा, बारहमासा, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. पूनमचन्द दूधेड़िया, छापर ३५०८. केशवदास / लावण्य रत्न, राजुल बारहमासा, बारहमासा, राजस्थानी, १७३४, अ. ३५०९. केशवदास / लावण्य रत्न, शीतकाल सवैये, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'गा. ६', अ., ___ ह. कांतिसागरजी संग्रह, उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १३२८ ३५१०. केशवदास, विहरमान ७ बोल विचार स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि सकल देव समरु अरिहंत... गा. ३१', अ., ह. अनूप संस्कृत लाइब्रेरी, बीकानेर . ३५११. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, अहमत्ता सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १९वीं, ___'आदि-शासन स्वामी रे निर्मल... गा. २७', मु., बृहत्स्तवनावली, पृ. ३५८ . . ३५१२. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, अजित जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि-अजित जिणंदा हो... गा. ५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५१३. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, आदि जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-आदीसर जिनराज... गा. ५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५१४. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, आदि जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-जय जय ऋषभ जिणेसरू... गा. ५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५१५. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, आदि जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, ___'आदि-तीरथपति त्रिभुवन तिलौ... गा. ११', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५१६. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, आदि जिन स्तवन (सिद्धाचल), गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि-प्रभु मया करि निरंजण दीदार... गा. ५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५१७. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, आदि जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-प्रात: उठ समरियै श्री ऋषभदेव देवा... गा. ५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५१८. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, आदि जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-सूरति स्वामी तुहारि वो... गा. ४', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि । ३५१९. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म, आबूऋषभजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८३४ अ. ३५२०. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, ऋषभजिन नमस्कार, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-जय जय नाभिनरिंद नंद... गा. ३', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५२१. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, ऋषभ जिन पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-परमातम पद भजरे मेरे जीउरा... गा.७', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि 264 खरतरगच्छ साहित्य कोश Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016106
Book TitleKhartargaccha Sahitya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy