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________________ २८८१. सर्वतीर्थमहर्षिकुलक, जिनेश्वरसूरि / वर्द्धमानसूरि, उपदेश, प्राकृत, ११वीं, 'आदि अट्ठावयम्मि उसभो..., अन्त-सित्तुंजयम्मि सिद्धा...', मु., सिरिपयरणसंदोह २८८२. सर्वाधिष्ठायी स्तोत्र, जिनदत्तसूरि / जिनवल्लभसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १२वीं, 'आदि-तं जयउ जए तित्थं... गा. २६', मु., सप्तस्मरणस्तोत्र संग्रह २८८३. सर्वाधिष्टायी स्तोत्र टीका (जिनदत्तसूरि), जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तोत्र, ___ संस्कृत, १५वीं, अ., ह. विनय. प्रतिलिपि २८८४. सहज बीठल रा दूहा, मतिकुशलगणि / जयसौभाग्य उ०, काव्य, राजस्थानी, १८३२, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २८८५. सागरसेठ (सायरसेठ) चौपई, सहजकीर्त्तिगणि / हेमनन्दन उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६७५ बीकानेर, 'आदि-प्रणमुं फलवधि पास..., अन्त–इम फल जाणी आगमइए...', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि २८८६. साधारण जिन वीनती, विनयप्रभोपाध्याय / जिनकुशलसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १४वीं, ___ 'आदि-मुखं संमुखं नयणले देव दीठु... गा. १३', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि । २८८७. साधारण जिन स्तुति, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तुति, संस्कृत, १५वीं, 'आदि तीर्थसन्नायकं सिद्धितादायकम्... ४', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि २८८८. साधारण जिन स्तुति (जयसागरीय) टीका (मूलार्थपरिहाररूपा व्याख्याद्वय), श्रीवल्लभोपाध्याय / ज्ञानविमलोपाध्याय, स्तुति, संस्कृत, १६६९ जोधपुर, 'आदिश्रीमन्तमजितं नुत्वा श्रीश्रीवल्लभवादिभिः..., अन्त-श्रीजिनेश्वरसूरीन्द्राद्यः...', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्या मन्दिर, अहमदाबाद । २८८९. साधारण जिन स्तुति, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १५वीं, 'आदि -- वरकेवलदंसणनाणधरा... गा. ४', अ., ह. पुण्यविजय संग्रह, अहमदाबाद ३४२० (३४) २८९०. साधुगणमाला, कल्याणधीर उ० / जिनमाणिक्यसूरि, स्तुति, राजस्थानी, १७वीं, अ. २८९१. साधुप्रतिक्रमणसूत्र (पगाम सज्झाय) अर्थनिर्णयकौमुदी टीका, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, - आवश्यक, संस्कृत, १३६४ अयोध्या, 'आदि-नत्वा श्रीवीरजिनं..., अन्त–सर्वमनवद्यम्...', . अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ११६०७, अभय ग्र., बीकानेर २८९२. साधुप्रतिक्रमणसूत्र अनुवाद सहित, जिनमणिसागरसूरि / सुमतिसागर म०, आवश्यक, गुजराती, २०वीं, मु., खरतरगच्छ ग्रन्थमाला, बम्बई २८९३. साधुप्रायश्चित्तविधि, क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, विधि, संस्कृत-राजस्थानी, . १९वीं बालूचर, अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा, खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर, विनय. प्रतिलिपि, बालचन्द संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., चित्तौड़ ५७४ । २८९४. साधुवन्दना, जयसोमोपाध्याय / प्रमोदमाणिक्य उ०, स्तुति, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि प्रणमु प्रहऊठी चौवीस..., अन्त-श्रीजिनमाणिक्यसूरि पटोधरु...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर पाला बम्बई खरतरगच्छ साहित्य कोश 217 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016106
Book TitleKhartargaccha Sahitya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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