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________________ २५७८. शत्रुञ्जय स्तोत्र, दिवाकराचार्य / जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, सस्कृत, १४वी, आदि देव नाभेयमोले - विमलगिरिवरो... गा. २६', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर २५७९. शत्रुञ्जयोत्पत्ति, सुमतिकल्लोल उ० / यु. जिनचन्द्रसूरि, कथा, संस्कृत, १७वीं, अ., ह. विनय. प्रतिलिपि २५८०. शत्रुञ्जयोद्धारलहरी, स्वरूपचन्द्र / हितप्रमोद, कथा, हिन्दी, २०वीं, अ., ह. यति सुमेरमल संग्रह, भीनासर २५८१. शनिश्चर विक्रम चौपई, धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं राधनपुर, 'आदि-सरसति सुमति दो मूहनि..., अन्त-राय सिद्धसेन दिवाकर गुरुवयणे...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-२, पृ. ३४१ २५८२. शब्दप्रभेद टीका, ज्ञानविमलोपाध्याय / भानुमेरु, कोश, संस्कृत, १६५४ बीकानेर, 'आदि श्रीमन्तं भगवन्तमन्वहमहं..., अन्त-श्रीमद्विक्रमतोद्यशीति सहिते...', अ., ह. बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर, खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर, शीघ्र प्रकाश्यमान २५८३. शब्दरत्नाकर, साधुसुन्दरोपाध्याय / साधुकीर्ति उ०, कोश, संस्कृत, १७वीं, 'ध्यात्वार्हतो गुरून् प्राज्ञान..., अन्त–वादीन्द्र श्री साधुकीय॒पाध्याय मिश्राणां...', मु., यशोविजय जैन ग्रन्थमाला, भावनगर, ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १३३७५, १३४२२ २५८४. शब्दार्णव्याकरण स्वोपज्ञ टीकासह, सहजकीर्त्तिगणि / हेमनन्दन उ०, व्याकरण, संस्कृत, १७वीं, 'मूलादि-श्रीपार्श्व प्रणित्य...', 'आदि टीका-सिद्ध्यर्थं फलवृद्धि..., अन्तकल्याणभाजः...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १२९१३, १२९१४, विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २५८५. शान्तिनाथ कलश, राचभडु, स्तोत्र, अपभ्रंश, १४वीं, अ., ह. पुण्यविजय संग्रह, अहमदाबाद २५८६. शान्तिनाथ चरित्र, जिनकुशलसूरि / जिनचन्द्रसूरि, चरित्र, प्राकृत, १४वीं, 'आदि-सिरि संतिनाह चरियं माणस पउमा..., अन्त–इय तुह चरियं संदेसिउ... गा. ३२', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा, महिमाभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर १४३० लि. २५८७. शान्तिनाथ चरित्र, जिनवल्लभसूरि / अभयदेवसूरि, चरित्र, प्राकृत, १२वीं, 'आदि अप्पडिहयधम्मचक्केण..., अन्त-बहुलाए तेरसीए...', मु., जिनवल्लभ ग्रन्थावली, पृ. १५४ २५८८. शान्तिनाथ प्रबन्ध रास, लब्धिविमल / लब्धिरङ्ग, रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. ज्ञान भं., झुंझनू २५८९. शान्तिनाथ बोली, जिनेश्वरसूरि / जिनपतिसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १३वीं, अ., ह. अभय ग्र., . बीकानेर, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३०३६७ २५९०. शान्तिनाथ रास, रङ्गसारगणि / भावहर्षसूरि भावहर्षीय, रास चौपई, राजस्थानी, १६२० वीरमपुर, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २५९१. शान्तिनाथ देव रास, लक्ष्मीतिलकोपाध्याय / जिनेश्वरसूरि, रास चौपई, अपभ्रंश, १४वीं, अ. खरतरगच्छ साहित्य कोश 195 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016106
Book TitleKhartargaccha Sahitya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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