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________________ २३९१. विचित्रमालिका (वज्रविलास का सार), रायचन्द्र, काव्य, हिन्दी, १९वीं, अ., ह. पं. रघुनाथराय, बनारस १८३४ लिखित प्रति . २३९२. विजयदेवमहात्म्यमहाकाव्य, श्रीवल्लभोपाध्याय / ज्ञानविमल उ०, ऐतिहासिक महाकाव्य, संस्कृत, १७वीं, मु., जैन साहित्य संशोधक समिति, अहमदाबाद, ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १६८८ २३९३. विजयसेठ चौपई, राजहंस / कमललाभ उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६८२ मुलतान, 'आदि- प्रणमी पास जिणिंद पहु..., अन्त - सील प्रभाव सुणी करीरै...', अ., ह. अभय ग्र. बीकानेर २३९४. विजयसेठ रास, गङ्गविनय / यशोवर्द्धन, रास चौपई, राजस्थानी, १७८१, अ., ह. अभय ग्र. बीकानेर २३९५. विजयसेठ विजया चौपई, उदयकमल / रत्नकुशलगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १८२१ कमालपुर, ' आदि - श्री जिनराज नमी करी..., अन्त-दंपपति इण विध चारित्र पाली...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २३९६. विजयसेठ विजया प्रबन्ध, ज्ञानमेरुगणि / महिमसुन्दर उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६६५ सरसा, ' आदि - जिन चउवीसे नमी ..., अन्त - सोलहसइ पइंसठि समइ... .', अ., ह. अभय बीकानेर ग्र., २३९७. विजयसेन राजकुमार चतुष्पदिका, सुमतिसेन / रत्नभक्ति जिनरत्नीय, रास चौपई, राजस्थानी, १७०७, अ., ह. पंचायती मन्दिर, दिल्ली २३९८. विज्ञप्ति (स्तोत्र ), जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १४वीं, 'आदि- सिरिवीयराय . देवाहिदेव... गा. ३५', अ., ह. विनय प्रतिलिपि २३९९. विज्ञप्तिका जिनचन्द्रसूरि प्रति, राजविजयोपाध्याय / दयासिंहगणि, विज्ञप्ति, संस्कृत, १७२७, 'अन्त-सप्त पक्षे नग क्षोणीप्रमाणितेनुवत्सरे...', मु., विज्ञप्तिलेख संग्रह, सिंघी जैन ग्रन्थमाला, बम्बई 4 २४०० विज्ञप्तिका जिनसुखसूरि प्रति, दयासिंहगणि / सुखवर्द्धनगणि, स्तोत्र, षड्भाषा, १८वीं रूपावास,‘आदि–स्वस्तिश्रियामाश्रयमीशमाश्रयन्..., अन्त-ख्यातान् श्रीवाचकख्यात्या...',मु., विज्ञप्तिलेख संग्रह, सिंघी जैन ग्रन्थमाला, बम्बई २४०१. विज्ञप्ति द्वात्रिंशिका, रामविजयोपाध्याय / दयासिंहगणि, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, 'गा. ३३', अ., ह. केशरियानाथ ज्ञान भं., जोधपुर, जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर २४०२. विज्ञप्तिपत्रम् (विज्ञप्ति त्रिवेणी), जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, विज्ञप्ति पत्र, संस्कृत, १४८४ मलिकवाहणपुर, 'आदि - जयति लसदनन्तज्ञाननिर्भाससान्द्रो..., अन्त - विज्ञप्तित्रिवेण्यां सूक्तलसल्लहरिवारहारिण्याम्...', मु., विज्ञप्तिलेख संग्रह, पृ. ३७-७९, सिंघी जैन ग्रन्थमाला, Jain Education International खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only 181 www.jainelibrary.org
SR No.016106
Book TitleKhartargaccha Sahitya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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