SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 245
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २३११. लुंपकमतनिर्लोढन रास, शिवसुन्दरोपाध्याय / क्षेमराज उ०, चर्चा रास चौपई, राजस्थानी, १५९७, 'आदि-शासननायक प्रभु नमूं..., अन्त - संवत पनर सताणवइ...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २३१२. लोकतत्त्व बालावबोध, नयविलास उ० / जिनचन्द्रसूरि प्रकरण, राजस्थानी, १६९८ पूर्व, ' आदि - प्रणम्य श्री महावीरं..., अन्त - श्री जिनचंद्रसूरि शिष्य नयविलास मुनिना...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर, विनय प्रतिलिपि २३१३. लोकनालवार्त्तिक, उदयसागर / सहजरत्न पिप्पलक, प्रकरण, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २३१४. लोकहिताचार्य स्तुति, मेरुनन्दनोपाध्याय ?, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, 'आदि–सच्छायागमविश्रुताः सुमनसां..., अन्त–प्राग्बुद्धस्य न शङ्खशुक्लनतया...', मु., विज्ञप्तिलेख संग्रह, सिघी जैन ग्रन्थमाला, बम्बई, ह. अभय ग्र., बीकानेर २३१५. वंकचूल रास, गङ्गदास / लब्धिकल्लोलगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६७१ पाती, 'आदिसंति जिणेसर चिर जयतु..., अन्त-संवत सोलइकहुत्तरि जाणि...', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २८९१४ " २३१६. वंकचूल चौपई, जिनोदयसूरि / जिनसुन्दरसूरि बेगड़, रास चौपई, राजस्थानी, १७८०, 'आदि - अपूर्ण, अन्त - वेगडखरतरगणवरदाया...', अ., ह. यति ऋद्धिकरण संग्रह, चूरू, जैनरत्न पुस्तकालय, जोधपुर २३१७: वच्छाराज चौपई, महिमाहर्ष / जिनसमुद्रसूरि बेगड़, रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. सेठिया लाइब्रेरी, बीकानेर २३१८. वच्छराज देवराज चौपई, कल्याणदेव / चरणोदय, रास चौपई, राजस्थानी, १६४३ बीकानेर, 'आदि-जिनवर चरण कमल नमी ..., अन्त-संवत सोल त्रयाली वरसई...', अ., उ. जैन कवि भाग-३, पृ. ७६८ २३१९. वच्छराज देवराज चौपई, विनयलाभोपाध्याय / विनयप्रमोदगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७३० मुलतान, 'आदि- परम निरंजन परम प्रभु..., अन्त - इणि परि मुनि वर्णना...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-२, पृ. ३४६ वच्छराज हंसराज चौपई, महिमासेन / शिवनिधान उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७७५ कोटड़ा, अ., ह. रामलाल संग्रह, बीकानेर, उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १४२३ २३२१. वज्रस्वमी रास, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, रास चौपई, अपभ्रंश, १४८९, 'आदिसुकृत सरोवर राजहंस... गा. ३६', अ., ह. पुण्यविजय संग्रह, अहमदाबाद ३४२० (३५) २३२२. वन राजर्षि चौपई, कुशललाभ उ० / कुशलधीर उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७५० भटनेर, ‘आदि-आदि जिणेसर आदिदेव..., अन्त - इहि लोक परलोक सुख पामसी रे...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २३२०. Jain Education International खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only 175 www.jainelibrary.org
SR No.016106
Book TitleKhartargaccha Sahitya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy