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________________ २१५०. मृगापुत्र सन्धि, कल्याणतिलक उ० / जिनसमुद्रसूरि, रास चौपई, राजस्थानी, १५५० महिमनगर, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, रा.प्रा.वि.प्र., जयपुर ७०९४, ७१०८ २१५१. मृगापुत्र सन्धि, लक्ष्मीप्रभोपाध्याय / कनकसोमगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६७७ मुलतान, अ., ह. खजांची संग्रह रा.प्रा.वि.प्र.. बीकानेर २१५२. मृगापुत्र सन्धि, शान्तिहर्षगणि / श्रीसोम वाचक, रास चौपई, राजस्थानी, १७१५ सांचोर, 'आदि-परतख प्रणमुं वीर जिणंद..., अन्त-श्री सोमवाचक सीस इणि परि...', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ९८२७ २१५३. मृगापुत्र सन्धि, सुमतिकल्लोल उ० / यु. जिनचन्द्रसूरि, रास चौपई, राजस्थानी, १६६३ महिमनगर, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २१५४. मृगावती चौपई, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६६८ मुलतान, 'आदि-समरु सरसति..., अन्त-बारमी ढाल खंडही जाणी... ३', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा, विनय. प्रतिलिपि, कैलाससागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १२३८१ २१५५. मेघकुमार चरित्र संधि, ऋषभदास / श्रीकल्याण, रास चौपई, राजस्थानी, १७६४ गगडाणा, 'आदि-स्वस्ति श्री वर सुखकर..., अन्त–सुखकारी तिन साधु मुनीस... गा. १४९१', अ., ह. जैन भवन, कलकत्ता २१५६. मेघकुमार चौढालिया, अमरविजयगणि / उदयतिलक गणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७७४ - भगसेऊ, 'आदि-परमातम पद प्रणम कै..., अन्त–संवत सतरै सै चोहतरै...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २१५७. मेघकुमार चौढालिया, कवि कनक, रास चौपई, राजस्थानी, १६वीं, 'आदि-देश मगधमांहि _जाणीये..., अन्त ते मुनिवर मेघकुमार...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, क्षमाकल्याण संग्रह, बीकानेर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ २१५८. मेघकुमार चौढालिया, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं, आदि श्री जिनवरनों चरण नमी करी..., अन्त-ऐकण भवने आंतरे...', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ५०८ २१५९. मेघकुमार चौपाई, जिनचन्द्रसूरि / जिनरङ्गसूरि जिनरङ्गीय, रास चौपई, राजस्थानी, १७२७, 'आदि-ऊँकार स्वरूपमय..., अन्त–सोभागी गुण आगलो ये...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १२५८ २१६०. मेघकुमार चौपाई, सुमतिहंसगणि / जिनहर्षसूरि आद्यपक्षीय, रास चौपई, राजस्थानी, १६८६ पीपाड, 'अन्त–संवत सोलइसय छयासीयइरे...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-१, पृ. ५४६ . २१६१. मेघकुमार रास, कनकसोमगणि / अमरमाणिक्य उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. विनय प्रतिलिपि खरतरगच्छ साहित्य कोश 163 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016106
Book TitleKhartargaccha Sahitya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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