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________________ १७७८. प्रत्याख्यानस्थानविवरण, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, आवश्यक, संस्कृत, १४वीं, अ., ह. संघ भण्डार, पाटण, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १९८० १७७९. प्रत्येकजिननामान्तर्गताक्षरद्वयरूपा चतुर्विंशति जिनस्तुति, सत्यसागर / रुद्रपल्लीय, स्तोत्र, संस्कृत, १६वीं, 'गा. २५', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १७८०. प्रत्येकबुद्ध चरित्र, जिनवर्द्धनसूरि / जिनराजसूरि, काव्य, संस्कृत, १५वीं, अ., ह. हीराचन्द्रसूरि संग्रह, बनारस १७८१. प्रत्येकबुद्धचरितमहाकाव्य, लक्ष्मीतिलकोपाध्याय / जिनेश्वरसूरि द्वि, महाकाव्य, संस्कृत, १३११ पालणपुर, अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा, हंसविजय संग्रह, बड़ौदा १४२६ १७८२. प्रथम जिन स्तव, जिनवल्लभसूरि / अभयदेवसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १२वीं, 'आदि-सयलभु वणिक्कवन्धव..., अन्त–अन्नाणंधारय गुरुभववारय... गा. ३०', मु., जिनवल्लभसूरि ग्रन्थावली, पृ. २०१ १७८३. प्रदेशी चरित्र, चारित्रनन्दी / नवनिधि उ०, चरित्र, संस्कृत, १९१३ खम्भात, 'आदि श्रीनाभिभूपालकुले गभस्ति..., अन्त–भव्याब्जसद्भासन भानुरूप... गा. ३३५०', अ., पुण्यविजय संग्रह, अहमदाबाद, विनय. प्रतिलिपि, हंसविजय संग्रह, बड़ौदा १७८४. प्रदेशी चौपई, अमरसिन्धुर वा. / जयसार वा., रास चौपई, राजस्थानी, १८९२ बम्बई, अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ३१५ १७८५. प्रदेशी चौपई, ज्ञानचन्द्रोपाध्याय / सुमतिसागर उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि प्रणमी श्री अरिहंत पय..., अन्त–राय पसेणी बीयो उपांगथी...', अ., ह. खजांची संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर, विनय. प्रतिलिपि, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ८४३७ १७८६. प्रदेशी सन्धि, कनकविलास / कनककुमार वा., रास चौपई, राजस्थानी, १७२१ बाड़मेर, ___ 'आदि-महिमण्डल महिम निलौ..., अन्त–बाहड़मेरु नगर सुख...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १७८७. प्रदेशी सम्बन्ध, तिलकचन्द्र / जयरङ्ग उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७४१ जालौर, 'अन्त रायपसेणी सूत्र थकी रच्यो...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १७८८. प्रद्युम्नलीलाप्रकाश, शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशीलगणि, गद्य काव्य, संस्कृत, १८७९ जयपुर, अ., ह. बालचन्द्र संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., चित्तौड़ ३७० १७८९. प्रबोधोदयावादस्थल, जिनपतिसूरि / मणिधारी जिनचन्द्रसूरि, चर्चा, संस्कृत, १३वीं, आदि स्याद्वादामृत संसिक्त..., अन्त–जिनपतिसूरिप्रबोधोदयं...', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, विनय. संग्रह, क्षमाकल्याण संग्रह, बीकानेर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १२०२३ १७९०. प्रभाकर गुणाकर चौपई, धर्मसमुद्रगणि/विवेकसिंहगणि पिप्पलक, रास चौपई, राजस्थानी, १५७३ अजिलाणा, 'आदि-पढम जिणवर पढम जिणवर..., अन्त–कवि कल्लोल कही ये कथा...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ५४९ 136 खरतरगच्छ साहित्य कोश Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016106
Book TitleKhartargaccha Sahitya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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