SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 199
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १६८८. पूजा - एकादश गणधर पूजा, सुमतिमण्डन उ० (सुगनजी) / धर्मानन्द उ०, पूजा, हिन्दी, १९५५ बीकानेर, आदि-इन्द्रभुति आदे नमुं..., अन्त-आज सुगुरुराज गुण आयो...', मु., जिन पूजा महादधि १६८९. पूजा - गिरनार पूजा, जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, पूजा, हिन्दी, १९७२ बम्बई, 'आदि-स्वस्ति श्री मङ्गल करण..., अन्त–प्रभुजी को सुयश अम्बर...', मु., पूजा संग्रह, कलकत्ता १६९०. पूजा - गिरनार पूजा, सुममिमण्डन उ० (सुगनजी) / धर्मानन्द उ०, पूजा, हिन्दी, २०वीं, अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ३८० १६९१. पूजा - गौत्र कर्म निवारण पूजा, जिनकवीन्द्रसागरसूरि / जिनहरिसागरसूरि, पूजा, हिन्दी, २१वीं, आदि-रस जीवन अमृत कहै..., अन्त-पुण्य फल ऊँचा होता जी...', मु., बृहत् पूजा संग्रह, कलकत्ता १६९२. पूजा - गौतममणधर पूजा, सुममिमण्डन उ० ( सुगनजी) / धर्मानन्द उ०, पूजा, राजस्थानी, २०वीं, अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ३८० १६९३. पूजा - ग्यारह अभिषेक ग्यारह पूजा, धर्मचन्द्र, पूजा, हिन्दी, १८९६, अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १६९४. पूजा - चौदह पूर्व पूजा, चारित्रनन्दी / नवनिधि, पूजा, हिन्दी, १८९५, अ., ह. नाहर संग्रह, कलकत्ता १६९५. पूजा - चौदह राजलोक पूजा, सुममिमण्डन उ० (सुगनजी) / धर्मानन्द उ०, पूजा, हिन्दी, १९५३ बीकानेर, 'आदि–पय प्रणमी जिनराजना..., अन्त–इण विध पूजन करीये मु., जिन पूजा महोदधि १६९६. पूजा - चौबीस जिन पूजा, जिनचन्द्रसूरि / जिनयशोभद्रसूरि, पूजा, हिन्दी, १९वीं माण्डवी कच्छ, अ., ह. विनय. प्रतिलिपि १६९७. पूजा - जम्बूद्वीप पूजा, सुममिमण्डन उ० (सुगनजी)/ धर्मानन्द उ०, पूजा, हिन्दी, १९५८ बीकानेर, 'आदि-सुख सुपत दायक सदा..., अन्त–आज आनंद बधाई महारे माई...', मु., जिन पूजा महोदधि १६९८. पूजा - जिनकुशलसूरि पूजा, जिनहिरसागरसूरि / भगवानसागर, पूजा, हिन्दी, १९९४ बीकानेर, 'आदि-ॐ अर्ह गुरुदेव पद..., अन्त-गुरु तुम्हें तैया तिरानी पड़ेगी.... हरिसागरसूरि ज्ञान भं., लोहावट १६९९. पूजा - जिनकुशलसूरि अष्टप्रकारी पूजा, ज्ञानसारोपाध्याय / रत्नराज उ०, पूजा, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-गंगा जल तिम निर्मल वलि..., अन्त–इक श्री जिनकुशलसूरिंदनै...', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. २७९, अ. अभय ग्र., बीकानेर १७००. पूजा - जिनदत्तसूरि पूजा, जिनहरिसागरसूरि / भगवानसागर, पूजा, हिन्दी, १९८९ हाथरस, 'आदि-ॐ अहँ ध्याउं धुरे..., अन्त–गुरुदेव श्रीजिनदत्त की नित...', मु., जिनहरिसागरसरि ग्रन्थमाला, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., लोहावट खरतरगच्छ साहित्य कोश 129 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016106
Book TitleKhartargaccha Sahitya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy