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________________ १३३४. न्यायलङ्कार(पंचप्रस्थानन्यायमहातर्क विषमपदव्याख्या न्यायलङ्कार), अभयतिलकोपाध्याय/ जिनेश्वरसूरि, न्याय, संस्कृत, १४वीं, अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर ७२ १३३५. पच्चीसी - अध्यात्म पच्चीसी, जिनसमुद्रसूरि / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, पच्चीसी साहित्य, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, अ. १३३६. पच्चीसी - उपदेश पच्चीसी, रघुपति उ० / विद्यानिधान उ०, पच्चीसी साहित्य, राजस्थानी, १८वीं, अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १४५५ १३३७. पच्चीसी - कुगुरु पच्चीसी, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, पच्चीसी साहित्य, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-श्री जिन वाणी हीयडे धरे..., अन्त-कुगुरु पचीसी ए मइ करी...', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ४९५ १३३८. पच्चीसी - कौतुक पच्चीसी, कीर्तिसुन्दर ( कान्हजी) / धर्मवर्द्धन उ०, पच्चीसी साहित्य, राजस्थानी, १७६१, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १४०६ १३३९. पच्चीसी - खरतर पच्चीसी, रत्नसोम / त्रैलोक्यवल्लभ, पच्चीसी साहित्य, राजस्थानी, १८५६, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १३४०. पच्चीसी - गौतम पच्चीसी, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, पच्चीसी साहित्य, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-धणपुर गुव्वर गांम..., अन्त–अंगूठे अमृत वसै मुख मीठी वाणी...', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३६८ १३४१. पच्चीसी - छिनाल पच्चीसी,लाभवर्द्धनगणि / शान्तिहर्षगणि, पच्चीसी साहित्य, राजस्थानी, १८वीं, अ. १३४२. पच्चीसी - प्रमोद पच्चीसी, कविसुन्दर / शान्तिदास, पच्चीसी साहित्य, राजस्थानी, अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जयपुर ७२९८ १३४३. पच्चीसी - भाव पच्चीसी, अमरविजयगणि / उदयतिलकगणि, पच्चीसी साहित्य, राजस्थानी, १७६१, अ., ह. जयचन्द्रजी संग्रह, बीकानेर १३४४. पच्चीसी - मङ्गल पच्चीसी, क्षेमवर्द्धन / हीरवर्धन, पच्चीसी साहित्य, राजस्थानी, १८४९ ___ 'आदि-सरसती माता कारज सरो...', अ., विनय. प्रतिलिपि १३४५. पच्चीसी - राजुल पच्चीसी, लालचन्द्रगणि / हीरनन्दनगणि, पच्चीसी साहित्य, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ६५१, खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर १३४६. पच्चीसी - सप्तभंगी पच्चीसी, भीमराज / गुलाबचन्द जिनसागरीय, पच्चीसी साहित्य, हिन्दी, १९२९ जैसलमेर, अ. १३४७. पच्चीसी - सुगुरु पच्चीसी, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, पच्चीसी साहित्य, राजस्थानी, १८वीं, आदि-सुगुरु पीछाणउ इणि..., अन्त–सुगुरु पचीसी श्रवणे...', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ.४९३ 103 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.016106
Book TitleKhartargaccha Sahitya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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