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________________ ९३७. जिनपतिसूरि स्तूपकलश:, ?, ऐतिहासिक गीत, संस्कृत, १३वीं, 'आदि-जनितभुवनतोषं रम्यसम्यक्त्वपोषं... गा. ४', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. १० ९३८. जिनपद्मसूरि पट्टाभिषेक रास, सारमूर्त्ति / जिनचन्द्रसूरि, रास चौपई, अपभ्रंश, १४वीं, 'आदि-सुरतरु रिसह जिणंद पाय..., अन्त-इहु पय ठवणह रास... गा. २९', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. २० ९३९. जिनपालित जिनरक्षित चौढालिया, रङ्गसारगणि / भावहर्षसूरि, रास चौपई, राजस्थानी, १६२१, आदि-अविरल वाणी वयणि..., अन्त-सोलहसइ इकवीस वरस...', अ., ह. मानमल कोठारी संग्रह, बीकानेर ९४०. जिनपालित जिनरक्षित चौपई, क्षेमराजोपाध्याय / सोमध्वज उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६वीं, अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह ९४१. जिनपालित जिनरक्षित रास, उदयरत्न / विद्याहेम, रास चौपई, राजस्थानी, १८६७ बीकानेर, अ., ह. खजांची संग्रह, बीकानेर, वर्द्धमान-बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर ९४२. जिनपालित जिनरक्षित रास, कनकसोमगणि / अमरमाणिक्य उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६३२ नागौर, 'आदि-सहगुरु पइ प्रणमी करी..., अन्त-संक्षेप मात्रइ छंदबंधइ अरथ जे सद्गुरु लया...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ९४३. जिनपालित जिनरक्षित रास, ज्ञानचन्द्रोपाध्याय / सुमतिसागर उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. क्षमाकल्याण संग्रह, बीकानेर ९४४. जिनपालित जिनरक्षित रास, पुण्यहर्षगणि / ललितकीर्तिगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७०९ 'अन्त-श्री खरतरगच्छ नायक गुणनिलो...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ११९० ९४५. जिनपालित जिनरक्षित सन्धि, कुशललाभ उ० / अभयधर्म उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६२१, आदि-चरम जिणेसर चरण नमेवि..., अन्त-खरतरगच्छी सहगुरुराय...', अ., उ. __ जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ६८५ ९४६. जिनपूजाविधि (देवपूजाविधि), जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, विधि, प्राकृत-संस्कृत, १४वीं, 'आदि-संपयं जहासंपदायं देवपूयाविही भण्णइ..., अन्त–देवाहिदेवपूजाविही इमो भवियणुग्गहट्ठाए:...', मु., विधि मार्ग प्रपा, पृ. १२१ ९४७. जिनप्रबोधसूरि चच्चरी, सोममूर्त्ति / जिनेश्वरसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १४वीं, अ., ह. अभय ग्र. बीकानेर ९४८. जिनप्रबोधसूरि बोली, सोममूर्ति / जिनेश्वरसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १४वीं, अ., अभय ग्र. बीकानेर ९४९. जिनप्रभसूरि परम्परा गुर्वावली, स्तुति, अपभ्रंश, १५वीं, 'आदि-वन्दे सुहम्म सामि, अन्त सुगुरु परंपरा गाहा... गा. १४', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ४१ 74 खरतरगच्छ साहित्य कोश Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016106
Book TitleKhartargaccha Sahitya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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