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________________ ७६३. चौवीसी - जिन स्तवन चौवीसी, कुशलधीरगणि / कल्याणलाभ उ०, चौवीसी साहित्य, . राजस्थानी, १७२९ सोजत, अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर ७६४. चौवीसी - जिन स्तवन चौवीसी, क्षेमराजोपाध्याय / सोमध्वज उ०, चौवीसी साहित्य, राजस्थानी, १६वीं, अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं. जैसलमेर ७६५. चौवीसी - जिन स्तवन चौवीसी, गुणविलास / सिद्धिवर्द्धन, चौवीसी साहित्य, राजस्थानी, १७९६ जैसलमेर, 'आदि-अब मोहि तारो दीनदयाल..., अन्त–संवत सत्तर सताणवै वरसै...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर | ७६६. चौवीसी - जिन स्तवन चौवीसी, चन्द्रप्रभसागर महो० / जिनकान्तिसागरसूरि, चौवीसी साहित्य, राजस्थानी, २१वीं, 'आदि-आदि तीर्थंकर आदि जिनेश्वर..., अन्त–श्वि में तुम्ही ज्ञान-सागर...', मु., अर्हत वन्दना, प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर ७६७. चौवीसी - जिन स्तवन चौवीसी, चारित्रनन्दी / नवनिधि, चौवीसी साहित्य, हिन्दी, २०वीं, अ., ह. खजांची संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., जयपुर ७६८. चौवीसी - जिन स्तवन चौवीसी, जिनकवीन्द्रसागरसूरि / जिनहरिसागरसूरि, चौवीसी साहित्य, हिन्दी, १९९२ अजीमगंज, 'आदि-भावे श्री आदि जिन वंदू..., अन्त–चौवीस जिन सुखकारी गाया...', मु., जिन स्तवन संग्रह, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ७६९. चौवीसी - जिन स्तवन चौवीसी, जिनकीर्त्तिसूरि / जिनसागरसूरिशाखा, चौवीसी साहित्य राजस्थानी, १८०८ बीकानेर, 'आदि–साहिबनै जब भेटीयौ..., अन्त–इम श्री जिनमतनें अनुसारै...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १५५४ ७७०. चौवीसी - जिन स्तवन चौवीसी, जिनमहेन्द्रसूरि मंडोवरा / जिनहर्षसूरि, चौवीसी साहित्य, हिन्दी, १८९८, अ., ह. धरणेन्द्रसूरि संग्रह, जयपुर ७७१. चौवीसी - जिन स्तवन चौवीसी, जिनरत्नसूरि / जिनराजसूरि, चौवीसी साहित्य, राजस्थानी, १७११, 'आदि-समरि समरि मन प्रथम जिनं..., अन्त-चउवीसे जिनवर जे गावइ...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ७७२. चौवीसी - जिन स्तवन चौवीसी, जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, चौवीसी साहित्य, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-मन मधुकर मोही रहिउ..., अन्त-इण परि भाव भगत...', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १ ७७३. चौवीसी - जिन स्तवन चौवीसी बड़ी, जिनलाभसूरि / जिनभक्तिसूरि, चौवीसी साहित्य, राजस्थानी, १९वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ७७४. चौवीसी - जिन स्तवन चौवीसी छोटी, जिनलाभसूरि / जिनभक्तिसूरि, चौवीसी साहित्य, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-ऋषभ जिणंद सुखकंद..., अन्त–जिनवर चोवीसे प्रणमेवा...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर 61 - खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.016106
Book TitleKhartargaccha Sahitya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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