SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 124
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ६६८. चतुर्विंशति जिन चैत्य वंदन-स्तवन स्तुति संग्रह , सुमतिमण्डन उ० / धर्मानन्द उ०, स्तोत्र, हिन्दी, २०वीं, 'आदि-गढ़ बीकाणे सोभताए आद जिनन्द..., अन्त-उगणी से सेतालीस मेए...', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ६६९. चत्तारि अट्ठदस षडर्थ, जिनकीर्त्तिरत्नसूरि / जिनवर्द्धनसूरि, अनेकार्थी साहित्य, प्राकृत, १२वीं, 'आदि-चत्तारि जिणवीसं..., अन्त–ससहर कय नव अत्थ... गा. ७', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि. ६७०. चन्द चौपई समालोचना, ज्ञानसारोपाध्याय / रत्नराज उ०, समालोचना, राजस्थानी, १८७७ बीकानेर, 'आदि-ए निश्चे निश्चे करौ..., अन्त–ना कविकी निंदा करी', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. २७० ६७१. चन्द राजा रास, करमचन्द / गुणराज, रास चौपई, राजस्थानी, १६८७ कालधरी, 'अन्त संवत सोलसत्यासीये भलो जोग अपार...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १०३२ ६७२. चन्दनबाला रास, आसिगु, रास चौपई, अपभ्रंश, १३वीं, अ. ६७३. चन्दन मलयगिरि चौपई, कल्याणकलश, रास चौपई, राजस्थानी, १६९३ मरोट, अ., ह. केशरियानाथ ज्ञान भं., जोधपुर ६७४. चन्दन मलयगिरि चौपई, क्षेमहर्षगणि / विशालकीर्त्तिगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७०४ मरोट, 'आदि-जिणवर चउवीसे नमी...', अ., ह. महिमाभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ८८३० ६७५. चन्दन मलयगिरि चौपई, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७०४, 'आदि-सरसति मतिदाईक नमुं..., अन्त–अनुक्रमे नृप सुख भोगवी...', अ., ह. अभय ग्र. बीकानेर, सेठिया लाइब्रेरी, बीकानेर ६७६. चन्दन मलयगिरि चौपई, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७४४ पाटण, 'आदि-सकल सुरासुर पय कमल..., अन्त–युग ब्रह्मा मुख जल निधिजी चन्द्र संवच्छर जाणि...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-२, पृ. ९४, भाग-३, पृ. ११५८ ६७७. चन्दन मलयगिरि चौपई, भद्रसेन वा., रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-स्वस्ति श्री विक्रमपुरे..., अन्त-भद्रसेन कहे पुण्यते भये सुवंछित भोग... २०३', अ., ह. अभय ग्र. बीकानेर. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ७०६४ ६७८. चन्दन मलयगिरि चौपई, सुमतिहंसगणि / जिनहर्षसूरि आद्य., रास चौपई, राजस्थानी, १७११, आदि-स्वस्ति श्री पूरण सदा..., अन्त–सत्व सुदृढ़ संभाहिई ए...', अ., ह. खजांची संग्रह, रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर ६७९. चन्दन मलयगिरि रास, यशोवर्द्धनगणि / रत्नवल्लभगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७४७ रतलाम, आदि-पुरिसादाणी पद नमी..., अन्त-भाव भगति इणविध मन आणी...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, विनय. प्रतिलिपि 54 खरतरगच्छ साहित्य कोश Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016106
Book TitleKhartargaccha Sahitya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy