SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 475
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ब्राह्मणग्रन्थ-ब्राह्मपुरुष इस प्रदेश के ब्राह्मण विशेषत: गौड़ कहलाये । कश्मीर ने अर्थवाद के तीन भेद बतलाये हैं : गुणवाद, अनुवाद और पंजाब के ब्राह्मण सारस्वत, कन्नौज के आस-पास और भूतार्थवाद । ब्राह्मणों के उपनिषद् भाग में ब्रह्मतत्त्व के ब्राह्मण कान्यकुब्ज, मिथिला के ब्राह्मण मैथिल तथा के विषय में विचार किया गया है । आख्यान भाग में उत्कल के ब्राह्मण उत्कल कहलाये। प्राचीन ऋषिवंशों, आचार्यवंशों और राजवंशों की कथाएँ नर्मदा के दक्षिणस्थ आन्ध्र, द्रविड़, कर्नाकट, महाराष्ट्र वर्णित हैं। और गर्जर, इन्हें 'पञ्च द्रविड' कहा गया है। वहाँ के प्रत्येक वैदिक सहिता के पृथक्-पृथक् ब्राह्मण ग्रन्थ हैं। ब्राह्मण इन्हीं पाँच नामों से प्रसिद्ध है । उपर्युक्त दसों के ऋग्वेद संहिता के दो ब्राह्मण हैं-ऐतरेय और कौषीतकि, अनेक अन्तविभाग हैं । ये सभी या तो स्थानों के नाम से यजुर्वेदसंहिता के भी दो ब्राह्मण है-कृष्ण यजुर्वेद का प्रसिद्ध हए, या वंश के किसी पूर्वपुरुष के नाम से प्रख्यात; तैत्तिरीय ब्राह्मण और शुक्ल यजुर्वेद का शतपथब्राह्मण । अथवा किसी विशेष पदवी, विद्या या गुण के कारण सामवेद की कौथमीय शाखा के ब्राह्मण ग्रन्थ चालीस नामधारी हए । बड़नगरा, विशनगरा, भटनागर, नागर, अध्यायों में विभक्त हैं, जो अध्यायसंख्याक्रम से पञ्चविंश माथुर, मूलगांवकर इत्यादि स्थानवाचक नाम हैं, वंश के ब्राह्मण ( ताण्ड्य ब्राह्मण ), षड्विंशब्राह्मण, अद्भुत पूर्व पुरुष के नाम, जैसे--सान्याल ( शाण्डिल्य ), ब्राह्मण और मन्त्र ब्राह्मण कहलाते हैं। सामवेद की नारद, वशिष्ठ, कौशिक, भारद्वाज, काश्यप, गोभिल ये जैमिनीय शाखा के दो ब्राह्मणग्रन्थ हैं : जैमिनीय ब्राह्मण नाम वंश या गोत्र के सूचक हैं। पदवी के नाम, जैसे और जैमिनीय उपनिषद् ब्राह्मण । इनको क्रमशः आर्षेय चक्रवर्ती, वन्द्योपाध्याय, मुख्योपाध्याय, भट्ट, फडनवीस, ब्राह्मण और छान्दोग्य ब्राह्मण भी कहते हैं । सामवेद कुलकर्णी, राजभट्ट, जोशी ( ज्योतिषी), देशपाण्डे की राणायनीय शाखा का कोई ब्राह्मण उपलब्ध नहीं इत्यादि । विद्या के नाम, जैसे चतुर्वेदी, त्रिवेदी, शास्त्री, है। अथर्ववेद की नौ शाखाएँ हैं, किन्तु एक ही ब्राह्मण पाण्डेय, पौराणिक, व्यास, द्विवेदी इत्यादि । कर्म या गुण उपलब्ध है-गोपथब्राह्मण । यह मुख्यतः दार्शनिक के नाम, जैसे दीक्षित, सनाढय, सुकुल, अधिकारी, ब्राह्मण है। वास्तव्य, याजक, याज्ञिक, नैगम, आचार्य, भट्टाचार्य ब्राह्मणसर्वस्व-वङ्गदेश के धर्मशास्त्री हलायुध भट्ट द्वारा इत्यादि । रचित एक ग्रन्थ । ब्राह्मण (ग्रन्थ)-ब्रह्म = यज्ञविधि के ज्ञापक ग्रन्थ । वैदिक ब्राह्मणप्राप्ति-चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से चतुर्थी तक इस व्रत साहित्य में संहिताओं के पश्चात् ब्राह्मणों का स्थान आता है। ये वेद-साहित्य के अभिन्न अङ्ग माने गये है। आपस्तम्ब के अनुष्ठान का विधान है। इसमें तिथिक्रम से चार देव; श्रौतसूत्र, बौधायनधर्मसूत्र, बौधायनगृह्यसूत्र, कौशिकसूत्र इन्द्र, वरुण, बम तथा कुबेर की गन्ध-अक्षतादि से पूजा होती है, क्योंकि ये चारों भगवान् वासुदेव के ही चार आदि में ब्राह्मणों को वेद कहा गया है । वेदों का वह भाग जो विविध वैदिक यज्ञों के लिए वेदमन्त्रों के प्रयोग रूप हैं । इसमें हवन भी विहित है । जो वस्त्र इन चारों के नियमों, उनकी उत्पत्ति, विवरण, व्याख्या आदि करता दिन भगवान् को भेंट किये जायें वे क्रमशः रक्त, पीत, है और जिसमें स्थान-स्थान पर सुविस्तृत दृष्टान्तों के रूप कृष्ण तथा श्वेत वर्ण के हों। एक वर्ष तक यह व्रत चलता में परम्परागत कथाओं का समावेश रहता है, 'ब्राह्मण' है। व्रती इससे प्रलयकाल तक स्वर्ग का भोग करता है । कहलाता है। इनके विषय को चार भागों में बाँटा जा हेमाद्रि, २. ५००-५०१ के अनुसार यह चतुर्मूर्ति व्रत है। सकता है : (१) विधिभाग (२) अर्थवादभाग ( ३ ) ब्राह्मण्यावाप्ति-ज्येष्ठ पूर्णमासी को सपत्नीक ब्राह्मण को उपनिषद्भाग और (४) आख्यानभाग । भोजन कराकर वस्त्रादि प्रदान कर गन्धाक्षतादि से उसका विधिभाग में यज्ञों के विधान का वर्णन है। इसमें पूजन-सम्मान किया जाय । इससे व्रती सात जन्मों तक अर्थमीमांसा और शब्दों की निष्पत्ति भी बतायी गयी केवल ब्राह्मण के घर में ही जन्म लेता है। है। अर्थवाद में यज्ञों के माहात्म्य को समझाने के लिए ब्राह्मपुरुष-जो लोग अस्वाभाविक मृत्यु से मरते हैं, विशेष प्ररोचनात्मक विषयों का वर्णन है। मीमांसाकार जैमिनि कर जिनकी हत्या होती है, उनके प्रेतात्मा बदला लेने की Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016098
Book TitleHindu Dharm Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajbali Pandey
PublisherUtter Pradesh Hindi Samsthan Lakhnou
Publication Year1978
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size27 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy