SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 98
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ नाटयवर्गः ७] मणिप्रभाव्याख्यासहितः । ६६ १ मृदङ्गा मुर जा २ भेदास्त्वयालियोधकास्त्रयः ॥५॥ ३ स्याद्यशःपटही ढका ४ 'भेरी स्त्री दुन्दुभिः पुमान् । ५ आनका पटहोली स्याहत्को गोली देवादनम् ॥ ६॥ ७ मीणादण्डः : स्य काकुवस्तु प्रसेवकः । ९ कोलम्बवास्तु कायोऽस्थाई हो निबाधनम् ।। ७ ॥ । मृदङ्गः, मुरजः ( २ ) 'मृदङ्ग' के नाम हैं । २ अङ्कयः, आलिङ्गयः, ऊर्ध्वकः (पु) ये सीन 'मृदमके भेद हैं। (हरीतकीके समान आकारवाला 'अय', अब सध्यभाग के समान आकार वाला 'ऊर्वक' और गोपुच्छ के समान आकारबाला साटिन्य होता है')॥ ३ यशःपटहः (पु), ढक्का (स्त्री) 'नगाड़ा' के दो नाम हैं। ४ भेरी (+ भेरिः, भम्भा । स्त्री), दुन्दुभिः (पु। आनः, दुन्दुभिः । २ पु) 'दुन्दुभिः' के २ नाम हैं ॥ ५ भानका, पटहः, (२ पु), 'पटह' के २ नाम हैं ॥ ६ कोणः (पु), 'वीणा, बेला, सारङ्गी या इसराज भादि बजानेके लिये काठकी बनाई हुई धनुही' का १ नाम है ॥ ___वीणादण्डः (भा० दी० म०), प्रवाल: (२ पु) 'वीणादण्ड' के २ नाम हैं॥ ___८ ककुभः, प्रसेवकः ( २ ) 'वीणाके नीचेवाले, चमड़ा आदिसे ढके हुए भाण्ड' के २ नाम है ॥ ९ कोलम्बकः (पु), 'वीणाका ढाँवा' अर्थात् 'ताररहित वीणाके दण्डादि समुदाय' का १ नाम हैं । १० उपनाहः (पु), निबन्धनम् (न । भा० दी० म०), जहाँ वीणाका तार बांधा जाता है, उस जगह' के २ नाम हैं ॥ .. १........... भे-मानकदुन्दुभी' इति भा० दी० सम्मतः पाठः । तत्र भेर्यानकदुन्दुमिशब्दान् पृथक् २ व्याख्याय 'द्वे भेर्याः' इति तदुक्तिश्चिनया' 'त्रीणि भेयाः' इत्युक्तेरौचित्यात॥ २. ३. ४. तदुक्तम्-'हरीतक्याकृतिस्वङ्कयो यवमध्यस्तथोकः । आलिजयश्चैव गोपुच्छसमानः परिकीर्तितः ॥१॥इति । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016095
Book TitleAmar Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovind Shastri
PublisherChaukhamba Amarbharti Prakashan
Publication Year1968
Total Pages742
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy