SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 93
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ६४ अमरकोषः । -१ सङ्गतं हृदयङ्गमम् ॥ १८ ॥ सत्ये ऽ५थ २ निष्ठुरं परुषं ३ ग्राम्यमश्लील ४ सूनृतं प्रिये । सङ्कलक्लिष्टे परस्परपराहते ॥ १९ ॥ त्वरितोदितम् । स्यादनर्थकम् ॥ २० ॥ निरस्तं 4 ६ लुप्तवर्णपदं प्रस्तं ८ अम्बूकतं सनिष्ठीव९मबद्धं १० अनक्षरमवाच्यं स्या११दाइतं तु मृषार्थकम् । [ प्रथमकाण्डे 6 १ सङ्गतम् , हृदयङ्गमम् (२ त्रि), 'संगतियुक्त वचन, मौकेकी बात' के २ नाम है | २ निष्ठुरम्, परु (२ त्रि ), 'निष्ठुर वचन' के २ नाम हैं ॥ ३ ग्राभ्यम्, अश्लीलम् (२ त्रि ), 'भाँड़ आदिके कहे हुए सभ्यताविरुद्ध वचन' के २ नाम हैं ॥ ४ सूनृतम् (त्रि ), 'सत्य और प्रिय वचन' का १ नाम है ॥ ५ सङ्कुलम्, विकष्टम्, परस्परपराहतम् (भा० दी० म० । ३ त्रि), 'विरु द्धार्थक या बेमौकेकी बात' के ३ नाम हैं ॥ ६ लुप्तवर्णपदम् ग्रस्तम् (भा० दी० म० । २ त्रि), 'रोगी, बालक या असमर्थके कहे हुए अधूरे वचन' के २ नाम हैं । ७ नितम्, खरितोदितम् ( भा० दी० स० । २ त्रि ), शीघ्रता से कहे हुए वचन' के २ नाम हैं ॥ ८ अम्बूकृतम्, सनिष्ठीवम् ( भा० दी० म० सनिष्ठेवम् । २ त्रि ), 'थूकका छोटा निकलते हुए कहे गये वचन' के २ नाम हैं ॥ Jain Education International ९ अबद्धम् ( + अवध्यम् ), अनर्थकम् ( भा० दी० म० । 'अनर्थक वचन' अर्थात् 'बिना मतलब की बात' के २ नाम हैं ॥ १० अनक्षरम्, अवाच्यम् ( २ त्रि ), 'नहीं कहने योग्य वचन' के २ नाम हैं ॥ १. 'अम्बूकृतं सनिष्ठेवमवध्यं स्यादनर्थकम्' इति पाठान्तरम् ॥ For Private & Personal Use Only २ त्र ), ११ आहतम्, मृषार्थकम् (भा० दी० म० । २ त्रि), 'अत्यन्त झूठे वचन ' के २ नाम हैं । (जैसे[-बन्ध्याका वह लड़का, आकाशपुरपका मुकुट पहने हुए, मृगतृष्णा के जल में स्नान कर, कच्छपी दुग्ध को पीनेके उपरान्त, शशशृङ्गके बाजाको www.jainelibrary.org
SR No.016095
Book TitleAmar Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovind Shastri
PublisherChaukhamba Amarbharti Prakashan
Publication Year1968
Total Pages742
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy