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________________ शब्दादिवर्गः ६] मणिप्रभाव्याख्यासहितः । अभिशापः १ प्रणादस्तु शब्दः स्यादनुरागजः । २ 'यशः कीर्तिः समक्षा च ३ स्तवः स्तोत्रं नुतिः स्तुतिः ॥ ११ ॥ ४ आनेडितं द्विस्त्रिरुक्त५मुच्चेपुष्टं तु घोषणा । ७ काकुः स्त्रियां विकारो यः शोकभीत्यादिभिर्वनेः ॥ १२ ॥ ७ अवर्णाक्षेपनिर्वादपरीवादापवादवत् उपक्रोशो जुगुप्सा च कुत्सा निन्दा च गर्हणे ॥ १३ ॥ ८ पारुष्यमतिवादः स्याद् १ प्रशादः (पु), 'गुणके प्रेमसे कहे हुए शब्द' अर्थात् 'वाहवाही या शाबासी देने का २ नाम है ॥ __ २ यशः (= यशस , न ), कीर्तिः, समज्ञा ( + समाज्ञा, समज्या । ३ स्त्री), 'कीर्ति यश' के ३ नाम हैं । ( जीवित व्यक्तिकी ख्यातिको 'यश' तथा मृत व्यक्तिको ख्यातिको 'कीर्ति' कहते हैं, ऐसा मनुस्मृत्तिके टीकाकार कुलूक भट्टने कहा है। ३ स्तवः (पु), स्तोत्रम् ( न ), नुतिः, स्तुतिः ( + प्रशंसा । २ स्नी), 'स्तुति' के ४ नाम हैं। ४ आनेडितम् (न), 'एक ही शब्दको दो या तीन बार कहने' का १ नाम है । (जैसे-साँप साँप दौड़ो दौडो,.....")॥ ५ उच्चैथुष्टम ( न ), घोषणा (स्त्री), ऊंचे स्वरसे घोषणा कहने के २ नाम हैं। ६ काकुः (स्त्री), 'शोक डर या काम इत्यादिके कारण विकृत ध्वनिसे बोलने का १ नाम हैं। 'जैसे-उपकृतं बहु तत्र किमुच्यते'......" अर्थात् किसी बुराई करनेवालेसे-'आपने हमारा बड़ा उपकार किया' इत्यादि वचन कहना.....) __७ भवर्णः, आक्षेपः, निर्वादः, परीवादः (+ परिवादः), अपवादा (+अ. ववादः), उपक्रोशः (६ पु), जुगुप्सा, कुस्सा, निन्दा (३ स्त्री), गहणम् (न), 'निन्दा, शिकायत' के १० नाम हैं । ८ पारुष्यम् (न), अतिवादः (पु), 'कटु वचन या कड़ाई से बोलने के २ नाम हैं । १. 'यशः कीर्तिः समज्या च... ...' इति पाठान्तरम् । २. एतदर्थ मनुस्मृतेमन्वर्थमुक्तावली ( ८।१२७) टीका द्रष्टव्या। ३. तस्य परमानेडितम् (पा० सू० ८।१२) इत्यनेनेत्यवधेयम् ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016095
Book TitleAmar Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovind Shastri
PublisherChaukhamba Amarbharti Prakashan
Publication Year1968
Total Pages742
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size10 MB
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