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________________ अमरकोषः। [प्रथमकाण्डेरोचिः शोचिरुमे क्लोवे, १ प्रकाशो द्योत आतपः ॥ ३४ ॥ २ कोष्णं कोणं मन्दोणं, कदुष्णं त्रिषु तद्वति । ३ तिग्मं तीक्ष्णं खरं तर मृगतृष्णा मरीचिका ।। ३५ ॥ इति दिग्वर्गः ॥३॥ ४. अथ कालवर्गः॥ ५ कालो दिशेऽप्यनेहाऽपि समयोऽ६प्यथ पक्षतिः । छविः, धुतिः, दीप्तिः ( ९ स्त्रो), रोचिः ( = रोचिष ), शोचि ( = शोचिष् । २ न), 'प्रभा' के ११ नाम हैं ॥ प्रकाशः, द्योतः, आतपः (३ पु), 'धू' अर्थात् 'घाम' के ३ नाम हैं। ('दीप्ति, भातप आदि यद्यपि असाधारण धर्म हैं तथापि कविलोग इनका प्रयोग सामान्यरूपसे करते हैं, जैसे-'मुख दीप्ति, चन्द्रातपः.........")॥ २ कोष्णम् , कवोष्णम् , मन्दोषणम्, कदुष्णम् (४ न), 'थोड़ा गर्म के ४ नाम हैं। (ये शब्द धर्मिवाचक होनेपर त्रि० हैं, जैसे-'कोष्णं जलम् , कोष्णः प्रस्तरः, कोष्णा शिला, .......' इन उदाहरणों में 'जल, प्रस्तर और शिला' शब्द के क्रमशः नपुंसक, लिङ्ग और स्त्रीलिङ्ग होनेसे 'कोष्ण' शब्द भी क्रमशः नपुंसक, पुंल्लिंग और स्त्रीलिङ्गमें प्रयुक्त हुआ है)। ३ तिग्मम् , तीचगम् , खरम् (३ न), 'अधिक गर्म के ३ नाम हैं। " मृगतृष्णा, मरीचिका ( २ स्त्री), 'मृगतृष्णा' के २ नाम है । (गर्मी के दिनों में रेतीली जमीनपर सूर्यका ताप लगने से अलका जो मामास होता है उसे 'मृगतृष्णा ' कहते हैं )। इति दिग्वर्गः ॥३॥ ४. अथ कालवर्गः॥ ५कालः, विष्टः, अनेहा (+ अनेहस् ), समयः (पु) 'समय' पतिः (+पती), प्रतिपत (= प्रतिपद् । २ सो) 'परिवा तिथि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016095
Book TitleAmar Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovind Shastri
PublisherChaukhamba Amarbharti Prakashan
Publication Year1968
Total Pages742
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size10 MB
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