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________________ ५५१ लिङ्गादिसंग्रहवर्गः ५] मणिप्रभाव्याख्यासहितः । १ परं विरोधे २ शेषं तु ज्ञेयं शिष्टप्रयोगतः : ४६॥ इति लिङ्गादिसंग्रहवर्गः ॥५॥ नीचैः पुरस्तात् पश्चाद् का प्रासाद, उच्चैः नीचैः पुरस्तात् पश्चादा पाठशाला, उच्चैः नाचः पुरस्तात् पश्चात् वा गृहम् ,...... । ५ पुरुषः पचति, स्त्रो पचति, कुलं पचतिः ......")॥ १ लिङ्ग-विधायक वचनों को यदि आपस में विरोध ( दो या अधिक वचनों से दो या अधिक लिङ्ग प्राप्त ) हों तो पर ( अन्त) वाला लिा होता है। (जैसे-धी:, भूः,........' में 'स्त्रियामीदूद्विरामैकाच' (३।५।२) चरितार्थ है और 'कर्ता, पाचकः,.......में 'कृत: कर्तर्य संज्ञायाम् (३१५६४५) चरितार्थ है, फिर नी:, लू:' यहाँ दोनोंकी (१ ले वचनसे स्त्रीलिङ्ग और २ रे वचनसे त्रिलिङ्गकी) प्राप्ति है तब पर ( आगेवाले) वचन से उक्त लिज (त्रिलिङ्ग) ही होगा। इसी तरह अन्यान्य उदाहरणों का तर्क कर लेना चाहिये')॥ २ शेष (बाकी)लि शिष्टों के प्रयोगके अनुसार जानना चाहिये । ('जैसे--, 'चालनी तितउः पुमान्' (२।९।१६) इस वचनसे 'तितउ' शब्दको लिग कहा गया, किन्तु तितह परिवपनं भवति' (पा. भा० पृ. ४२) इस भाष्य के प्रयोगले 'तितउ' शब्द नपुंसकलिङ्ग भी होता है। ३ 'कलिका कोरकः पुमान्' (१।४।१६) इस वचनसे 'कोरक' शब्दको पुंल्लिङ्ग कहा गया है तो भी 'कोरकाणि' इस माघ कविके प्रयोगसे वह 'कोरक' शब्द नपुंसकलिङ्ग भी होता है')। यहाँ जो नहीं कहा गया है उसे लक्ष्यसे समझना चाहिये। ('उदा०-१ अव्यक्त गुण-लिङ्ग में नपुंसकलिङ्ग होता है, जैसे-किं तस्या 'जात' पुमान स्त्री वा... । २'तयप' प्रत्ययान्त धर्मवृत्ति शब्द स्त्रीलिङ्ग और नपुंसकलिङ्ग होते हैं, जैसे-वर्णानां चतुष्टयी, वर्णानां चतुष्टयम् , वेदानां त्रयी, वेदानां त्रयम् , ... । छन्द (वेद) में स्वार्थविहित 'अण' प्रत्ययान्त शब्द नपुंसकलिङ्ग होते हैं, जैसे-गायत्री एवं गायत्रम् , अनुष्टुबेवानुष्टुभम् ,..... । ४ 'स्तिप् अन्त में हो जिसके ऐसा इक (इ, उ, ऋ, लू) अन्तवाला शब्द बोलिङ्ग होता है, जैसे-इयं वृद्धिः, इयं पचतिः,...... । ५ 'प्रमाण' आदि शब्द निस्य नपुंसक. लिङ्ग होते हैं, जैसे-वेदाः प्रमाणम् , स्मृतयः प्रमाणम् , इति लिङ्गादिसंग्रहवर्गः ॥५॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016095
Book TitleAmar Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovind Shastri
PublisherChaukhamba Amarbharti Prakashan
Publication Year1968
Total Pages742
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size10 MB
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