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________________ ४८६ नानार्थवर्गः ३] पणिप्रभारुयाख्यासहितः । १ वन्धुरं सुन्दरे नम्र २ गिरिगेंन्दुकशैलयोः (७६) ३चरुः स्थाल्यां हविःपत्ता ४ बधीर कातरे चले'(55) इति रान्ताः शब्दाः। अथ हान्ताः शब्दाः । ५ चूडा किरीटं केशाश्व संयता मौलयस्त्रयः ॥ १९३ ।। ६ द्रुमप्रभेदमातङ्गकाण्डपुष्पाणि पीलवः । ७ कृतान्तानेहसोः काल ८ श्चतुर्थेऽपि युगे कलिः ॥ १९४ ।। ९ स्यात्कुरोऽपि कमलः १० प्रावारेऽपि च कम्बलः । १ [ 'बन्धुरम्' (त्रि) सुन्दर, नम्र, २ अर्थ हैं ] ॥ २ ['गिरिः' (पु) के गेंदा, पहाड, बाँखका रोग-विशेष, ३ अर्थ और गिरिः' (त्रि) का पूज्य, । अर्थ है ] ॥ ३ ['चहः' (पु) के पटलोही, हविष्यका पाक, २ अर्थ है ] ॥ ४ [ 'मधीरः' (त्रि) के कातर, अधीर (चक अर्थात् धैर्यहीन र अर्थ हैं] ॥ इति रान्ताः शब्दाः। अथ लान्ताः शब्दाः । ५ 'मौलिः' (पुत्री) के चूरा, मुकुट, बँधा हुभा केश (बाल), ३ अर्थ हैं । ६ 'पीलु' (पु) के अन्चरोटका पेड़, हाथी, बाण, ३ अर्थ और 'पीलु' (न) का अखरोटका फल तथा फूल, २ अर्थ हैं । • 'काल' (पु) के यमराज, समय, मृत्यु, काला, ४ अर्थ हैं। ८ 'कलिः ' (पु) के कलियुग, लड़ाई झगड़ा, २ अर्थ और 'काल' (स्त्री) का फूलकी कळी ( कोंडी), १ अर्थ है ॥ ९ 'कमल' (पु)का मृग-विशेष, , अर्थ और 'कमलम् (न) के कमल का फूल, पानी, तांषा, आकाश, औषध, ५ अर्थ हैं । १. 'कम्बलः' (पु) का दुपट्टा (चादर), हाथी, सास्ना (गाय पा बैल के गले में खटकता हुभा चमड़ा, लोर), कीड़ा (कृमि), ४ अर्थ और 'कम्ब. लम् (न)का पानी, कम्बल, २ अर्थ हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016095
Book TitleAmar Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovind Shastri
PublisherChaukhamba Amarbharti Prakashan
Publication Year1968
Total Pages742
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size10 MB
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