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________________ नानार्थवर्गः ३] मणिप्रभाव्याख्यासहितः । १ शर्फ मूले तरूणां स्याद्वादीनां खुरेऽपि च (६१) २ गुम्फः स्याद् गुम्फने बाहोरलङ्कारे च कीर्तितः ( ६२) इति फान्ताः शब्दाः। अथ वा (बान्ता : शब्दाः । ३ अन्तगभवसत्त्वेऽश्वे गन्धर्वो दिव्यगायने । ४ कम्बुर्ना वलये शखे ५ विजिह्वौ सर्पसूचकौ ।। १३३ ।। ६ पूर्वोऽन्यलिङ्गः प्रागाह पुंबहुत्वेऽपि पूर्वजान् । ७ "चित्रपुकेऽपि कादम्बो ८ नितम्बाऽद्रितटे कटौ (६४) ['शफम्' (न) के पेड़ की जड़, पशुओं का खुर, २ अर्थ हैं ] ॥ २ [ 'गुल्फः ' (पु) के फूल माला भादिका गूंथना, हाथका भूषण, २ अर्थ हैं । इति फान्ताः शब्दाः । अथ वा (बा)न्ताः शब्दाः । ३ 'गन्धर्वः' (पु) का जन्म और मरणके मध्य समय में स्थित प्राणी, मृगविशेष, पुस्कोकिल, घोड़ा, स्वर्गके ( हाहा, हूहू आदि) गायक, ५ अर्थ हैं । ४ 'कम्वुः ' (पु) के कङ्कण, शङ्ख, गज, घोंघा या सितही, ४ अर्थ हैं । ५ 'द्विजिह्वः' (पु) के साँप, चुगलखोर, २ अर्थ हैं ॥ 'पूर्वः' (त्रि) का पहला ( जैसे-पूर्वो ग्रामः, पूर्व वनम् ,..... ), १ अर्थ; + 'पूर्वा' (स्त्री) पूर्व दिशा, १ अर्थ और 'पूर्वे' (पु नि० ब० व०) का पुरुखा ( पुराने वंशवाले, पुरनिर्मा), ब्रह्मा, ३ अर्थ हैं । [ 'कादम्बः' (पु) के चित्र पंखवाला पहि-विशेष ( कल हंस), वाण, . अर्थ हैं ] ॥ ८ [ 'नितम्बः' (पु) के, पहाड़का किनारा, कटि (चूतद), २ अर्थ हैं ] ॥ १. बयोः सावाद्वान्ता बान्ताश्व शब्दा अत्र उक्ताः ।। २. 'चित्रपुडखेऽपि..... फले' इत्ययं क्षेपकांशः क्षी० स्वा० व्याख्यायामुपलभ्यमानः प्रकृतोपयोगितयाऽत्र स्थापितः । Jain Education International For Private & Personal Use Only ___www.jainelibrary.org
SR No.016095
Book TitleAmar Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovind Shastri
PublisherChaukhamba Amarbharti Prakashan
Publication Year1968
Total Pages742
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size10 MB
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