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________________ नानार्थवर्गः ३] मणिप्रभाब्याख्यासहितः । ४६७ १-अथ भार्यापि जनी २ दोषेऽपि लाञ्छनम् (५८) इति नान्ताः शब्दाः। अथ पान्ता: शब्दाः। ३ कलापो भूषणे बहें तूणीरे संहतावपि । ४ परिच्छदे परीवापः पर्युप्तौ सलिलस्थितौ ॥ १२९ ।। ५ गोधुग्गोष्ठपती गोपौ ६ हरविष्णू वृषाकपी । ७ बाष्पमूष्माश्रर 'कशिपुस्त्वन्नमाच्छादनं द्वयम्॥ १३० ॥ ९ तल्पं शय्याऽदारेषु१०स्तम्बेऽपि विटपोऽस्त्रियाम् । १ ['जनी' (त्री के सीमन्तिनी (श-वेशसे युक्त मी), बहु १ अर्थ है ॥ २ । 'लाञ्छनम्' ( न ) के दोष, चिह्न, नाम, ३ अर्थ हैं ] ॥ इति नान्ताः शब्दः । अथ पान्त: शब्दाः । ३ 'कलापः' (पु) के भूषण ( गहना ), मोरका पंख, तरकस ( बाण रखने के लिये चमड़े आदिको बना हुई झोली-नूगीर ), संहत (मिला हुआ), ४ अर्थ हैं। ४ 'परीवापः' (पु) के तम्बू कनात आदि, बाज बोना, याला, ३ अर्थ हैं। - ५ 'गोपः' (पु) के गौ दुहनेवाला, गोशाला का स्वामी (अहीर), देश या कुलका अध्यक्ष, १ अर्थ हैं । ६ 'वृषाकपिः' (पु) के शिवजो, विष्णु भगवान् , अग्नि, ३ अर्थ हैं । • 'कशिपुः' (पु) के अन्न, वस्त्र, १ अर्थ हैं । ९ 'तल्पम्' (न) के शय्या, अटारी, स्त्री ३ अर्थ हैं । 10 'विटप:' (पु न ) के गुच्छा, विस्तार, शाखा, ३ अर्थ हैं । १. 'कशिपू' इत्यपपाठ' इति क्षा० स्वा० ॥ २. 'अलियाम्' इत्यस्य 'कशिपु-तस्प शम्दाभ्यां सम्बन्ध पर के मा० दी. महे० वचने तु 'कशिपुर्मोज्यवस्नयो' (भने० संग्रह ३२४७१) इति हेमचन्द्राचार्योक्त्या, 'कशिपुमोना. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016095
Book TitleAmar Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovind Shastri
PublisherChaukhamba Amarbharti Prakashan
Publication Year1968
Total Pages742
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size10 MB
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