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________________ अमरकोषः। [तृतीयकाण्डे१ 'पश्छिन्दोऽपि दशमं २ स्यात्प्रभावेऽपि चायतिः । ३ पत्तिर्गतौ च ४ मूले तु पक्षतिः पक्षभेदयोः ।। ७२॥ ५ प्रकृतियोनिलिने च ६ कैशिक्याद्याच वृत्तयः। ७ सिकताः स्युर्वालुकापि ८ वेदे श्रवसि च श्रुतिः ॥ ७३॥ 'पङ्कि' (स्त्री) के दश अक्षरके (जैसे-चम्पक्रमाला, मनोरमा, मत्ता आदि ) छन्द, पंक्ति (कतार), २ अर्थ हैं ॥ २ 'आयतिः' (स्त्री) के प्रभाव, उत्तर काल, २ अर्थ है ।। ३ 'पत्तिः ' (स्त्री) के चलना, योद्धा, सेना-विशेष (१० २९२ या २१८८०) पैदल ४ अर्थ हैं ॥ ४ 'पक्षतिः' (स्त्री) का पक्ष (शुक्ल या कृष्ण) की प्रथम तिथि अर्थात् प्रतिपदा, चिड़िया आदिके पङ्खकी जड़, २ अर्थ हैं ॥ ५'प्रकृतिः' (स्त्री) के योनि, लिङ्ग (पुंलिङ्ग, स्त्रीलिङ्ग, नपुंसक ), स्वभाव, शिल्पी ( कारीगर ), नागरिक-मन्त्री, आदि, गुणसाम्य, ६ अर्थ हैं । ६'वृत्तिः' (स्त्री) के कैशिकी आदि (आरभटी, शाश्वती, भारती) काव्य-सम्बन्धी चार 'वृत्ति, जीविका, सूत्रादिका अर्थ हैं । ७ सिकताः' (स्त्री नि० ब० व०) के बालू , बालसे युक्त स्थान या देश चीनी, ३ अर्थ हैं । ८ 'श्रुतिः' (स्त्री) के वेद (ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद), कान, वार्ता, ३ अर्थ हैं ॥ १. पंक्तिश्छन्दो दशापि स्यात्' इति पाठान्तरम् ॥ २. भारती शाश्वती चैव कशिक्यारमटी तथा । पतनों वृत्तयश्चैताः यासु नाट्यं प्रतिष्ठितम् ॥ इति । दशरूपकेऽपि 'तद्वयापारात्मिका वृत्तिश्चतुर्द्धा, तत्र कैंशकी' (दशरू० २४७ ) इत्यारभ्य 'चतुर्थी भारती सापि वाच्या नाटकलक्षणे (दशरू० २।६० इत्यन्तेन तद्भेदा) उक्त अग्रेच 'शृङ्गारे कैशिकी वीरे सात्वत्यारभटी पुनः। रसे रौद्र च बीभत्से वृत्तिःसर्वत्र भारती' ॥ (दशरू० २।६१) इत्यनेन करयाः कोपयोग इति कथितम् ।। Jain Education International For Private & Personal Use Only ___www.jainelibrary.org
SR No.016095
Book TitleAmar Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovind Shastri
PublisherChaukhamba Amarbharti Prakashan
Publication Year1968
Total Pages742
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size10 MB
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