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________________ संकीर्णवर्गः २] मणिप्रभाव्याख्यासहितः ! १ श्रीशक्तिर्निष्क्रमोऽस्त्री तु संकमो दुर्गसंवरः ॥ २५ ॥ ३ प्रत्युत्क्रमः' प्रयोगार्थ ४ प्रक्रमः स्यादुपक्रमः । स्यादभ्यादानमुद्धात आरम्भः ६ संभ्रमस्त्वरा ॥ २६ ॥ ७ प्रतिबन्धः प्रतिष्टम्भः १ धीशक्तिः (स्त्री), निष्क्रमः (पु), बुद्धि के सामर्थ्य' के २ नाम हैं । ( 'सुनने की इच्छा १, सुनना २, ग्रहण करता ३, धारण करना ( स्थिर अर्थात् याद रखना ) ४, ऊहा ( तर्क ) ५, अवरोह ६, विज्ञान ७, और तस्वज्ञान ८, 'ये ८ वुद्धिके गुण' हैं ' ) ॥ २ संक्रमः (पुन), दुर्गसंवरः ( + दुर्गसंचारः । पु), 'किलामै जाने, दुर्ग (किल्ला) के मार्ग' के २ नाम हैं ॥ ३ प्रत्युत्क्रमः ( + प्रत्युत्क्रान्तिः स्त्री ) प्रयोगार्थः ( + प्रयुद्धार्थः । 'प्रयोग' ( + प्रयुद्ध ) के पर्यायवाचक सब शब्द । २), 'कार्यारम्भमें पहली बार प्रयोग करने या युद्धके लिये अच्छी तरह उद्योग करने' के २ नाम हैं ॥ ४ प्रक्रमः, उपक्रमः (२ पु), 'पहली बार आरम्भ करने' के २ नाम हैं ॥ ५ त्रभ्यादानम् ( न ), उद्घातः ( + उपोद्घातः ), आरम्भ: ( १ पु ), 'आरम्भमान' के ३ नाम हैं । ( 'भा० दो० के मतले 'प्रक्रमः,' 'आरम्भ' के ही हैं' ) ॥ ६ नाम ६ संभ्रमः (पु), स्वरा ( + श्वरिः । स्त्री ), 'शीघ्रता, जल्दीबाजी' के २ नाम हैं । १. 'प्रयुद्धार्थः' इति पाठान्तरम् ॥ २. तदुक्तम्- 'शुश्रूषा श्रवणं चैव ग्रहणं धारणं तथा । ४१७ ७ प्रतिबन्धः, प्रतिष्टम्भः (१), 'कार्य आदिमें रुकावट पड़ने' के २ नाम है ॥ ...... ऊहापोहौ च विज्ञानं तत्वज्ञानं च धीगुणाः ॥ १ ॥ इति ॥ ३. 'उपोद्घात 'लक्षणं यथा 'चिन्त प्रकृतिसिद्धार्थापोद्धातः प्रचक्षते' ॥ इति ॥ For Private & Personal Use Only २७ अ० Jain Education international www.jainelibrary.org
SR No.016095
Book TitleAmar Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovind Shastri
PublisherChaukhamba Amarbharti Prakashan
Publication Year1968
Total Pages742
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size10 MB
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