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________________ संकीर्णवर्ग:२] मणिप्रभाव्याच्यासहितः । ४०६ -१'काम्यदानं प्रधारणम् ॥ ३॥ २ घशक्रिया संवननं ३ मूलकर्म तु कार्मणम् । . विधूननं विधुवनं ५ तर्पणं प्रीणनावनम् ॥४॥ ६ पर्याप्तिः स्यात्परित्राणं हस्तवारणमित्यपि । ७ सेवनं सीवनं न्यूति ८ विंदरः स्फुटनं भिदा ॥ ५ ॥ ९ आक्रोशनमभीषङ्गः १० संवेदो वेदना न ना । ११ संमूर्छनमभिव्याप्तिः । कायदानम् ( + कामदानम् ), अवारणम् ( + प्रचारणम् । २ न) 'मनचाहा' दान देने २ नाम हैं। २ वशक्रिया (बी), संवननम् ( + संवपनम् , संवदनम् । न ) 'मन्त्र. मणि आदिसे वशमें करने के २ नाम हैं। ३ मूल कर्म ( = मूल कर्मन् , भा० दी.), कार्मणम् (२ न), 'जड़ी-बूटी आदिले उचाटन, मारण, मोहन आदि करने के २ नाम हैं । ४ विधूननम् (+विधुननम), विधुवनम् (२.), 'कैंपाने' के २ नाम हैं। ५ तर्पणम् , प्रीणनम् , अवनम् ( ३ न ), 'तृप्त करने के ३ नाम हैं । ६ पर्याप्तिः (स्त्री), परित्राणम् , हस्त वारणम् (+ हस्तधारणभ् । ३ न), 'मारने के लिये उद्यत ( तैयार )को रोकने के ३ नाम है ॥ ७ सेवनम् ( + सेवः पु), सीवनम् ( २ न), स्यूतिः (सी), 'सिलाई करने के ३ नाम हैं। ८ विदरः (५), स्फुटनम् ( + स्फोटनम् । न ), भिदा (बी), 'फटने या अलग होने के ३ नाम हैं। ___९ आक्रोशनम् (न), अभीषङ्गः (+ अभिषङ्गः । पु), 'गाली या शाप देने के १ नाम है। १० संवेदः (पु) वेदना ( सी न ), 'अनुभव' के १ नाम हैं। 18 संमूरछनम् ( न ), अभिव्याप्तिः ( छी), 'व्याप्त होने' अर्थात् 'चारों तरफसे बढ़ने या मर जाने के २ नाम हैं ॥ २. 'हस्तपारम्' इति पाठान्तरम् ।। १. 'कामदानं' इति पाठान्तरम् । ३. 'सेवस्तु' इति पाठान्तरम् ।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016095
Book TitleAmar Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovind Shastri
PublisherChaukhamba Amarbharti Prakashan
Publication Year1968
Total Pages742
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size10 MB
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