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________________ ३६६ अमरकोषः । [ तृतीयकाण्डे----१ विकृतं विस्तृतं ततम् । २ अन्तर्गत विस्मृतं स्यात् ३ प्राप्तप्रणिहित समे ॥ ८६ ।। ४ वेल्लित प्रेलिताधूतचलिताकम्पिता धुते । ५ दुत्तनुन्नास्तनिष्ठयूताविद्धक्षिप्तेरिताः समाः ।। ८७ ॥ ६ परिक्षिप्तं तु निवृतं ७ मूषितं मुषितार्थकम् । ८ प्रवृद्धप्रसृते १ न्यस्तनिसृष्टे १० गुणिताहते ।। ८८ ॥ ११ निदिग्धोपचिते १२ गूढगुप्ते १३ गुण्ठितरूषिते । १ विसृतम् , विस्तृतम् , ततम् , ( ३ त्रि ), 'फैले हुए' के ३ नाम हैं ॥ २ अन्तर्गतम् , विस्मृतम् (२ त्रि ), 'भूले हुए' के २ नाम हैं ॥ ३ प्राप्तम् , प्रणिहितम् (२ त्रि), 'पाये हुए' के २ नाम हैं ॥ ४ वेल्लितः, प्रेखितः, आधूता, चलितः, आकम्पितः, धुतः ( ६ त्रि), 'थोडासा कंपे हुए' के ६ नाम हैं ॥ ५ नुत्तः, नुन्नः, अस्त, निष्ट्यतः (+ निष्ठतः ), आविद्धः, क्षिप्तः, ईरितः (७ त्रि), 'भेजे या किसी काममें लगाये हुए' के ७ नाम हैं ॥ ६ परिक्षिप्तम् , निवृतम् ( + वलयितम् , परिवेष्टितम् , परीतम् । (• त्रि), 'खाई या दिवाल आदिले घिरे हुए' के २ नाम हैं ॥ ७ मूषितम् , मुषितम् (मुपितके पर्यायवाचक सब शब्द । २ त्रि), 'चुराए हुए' के २ नाम हैं ॥ ८ प्रवृद्धम् , प्रसृतम् (२ त्रि ), 'पसारे हुए' के २ नाम हैं । ९ न्यस्तम् , निसृष्टम् ( २ त्रि), 'फेंके हुए' के २ नाम हैं ॥ १० गुणितम् , आहतम् (२ त्रि), 'गुणा किये हुए अङ्क या वटी (वरी) हुई रम्ली आदि' के २ नाम हैं । ११ निदिग्धन , उपचितम् (२ त्रि ), 'बड़े (पुष्ट) हुए' के २ नाम हैं ॥ १२ गृढन् , गुप्तम् (२ त्रि), 'गुप्त' के २ नाम हैं ।। १३ गुण्ठितम् (+ गुण्डितम्), रूपितम् (२ त्रि), 'धूल आदिमें लिपटे हुए' के २ नाम हैं । (जैसे-'पदातिरन्तगिरिरेणुरूषितः' किरात १३४')॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016095
Book TitleAmar Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovind Shastri
PublisherChaukhamba Amarbharti Prakashan
Publication Year1968
Total Pages742
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size10 MB
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