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________________ ३८१ विशेष्यनिष्णव) मणिप्रमावास्यासहितः । -१* परमकस्तुपर्नु श्रोतुमशिक्षिते ॥ ३८॥ २ तूणीशीलस्तु तूष्णीको ३ मग्नोरमासा दिगम्बरे। ५ निष्कासितोऽषकृष्टः स्यात् ५ अपभ्यस्तस्तु धिक्कतः॥ ३९ ॥ ६ 'मातगोऽभिभूतः स्याद् ७दापितः साधिता समो। ८ प्रस्थादियो निरस्तः स्यात्प्रत्याख्याता निराकृतः ॥४०॥ ९ निकृतः स्याद्विप्रकृतो १० विप्रताब्धस्तु पश्चितः। एसमूक: (+ अमेहमूकः । त्रि), 'बोलने और सुनने में अशिक्षित, बहरे, गूंगे' के २ नाम है। २ सूर्णीशीलः, तूनीकः (२), 'चुप रहनेवाले' के २ नाम है। ३ नग्नः, अबासा ( = अवासस्। + विवासाः = विवासस्), दिगम्बर (त्रि), 'नंगेके नाम हैं। ४ निष्कासितः ( + निष्कामितः), अकृष्टः (२ त्रि), 'निकाले हुए' के १ नाम है। ५ अपध्वस्तः, धिक्कृतः (२), 'विषकारे हुए' के २ नाम है। ६ भात्तगः ( + आत्तगन्धः), अमिभूतः (२ त्रि), 'दूटे हुए अमि. मानवाले' के नाम हैं। ('किसी के मससे 'अपवस्तः ,......." ४ नाम एकार्थक हैं)। दापितः ( + दायितः), साधित: (२ त्रि), 'जिससे धन बादि दिलाया गया हो उसके या दिलाये हुए धन मादि' के नाम हैं। ८ प्रत्याविष्टः, निरस्ता, प्रत्याश्या, निराकृतः (४ त्रि), 'अनादरके साथ निकाले या हटाये हुए' के नाम हैं। ९ निकृत: (+ नि:कृतः ), विप्रकृतः (२ त्रि), 'समादर पाये हुए' के २ माम हैं। १. विप्रलपा, वद्धितः (२), 'गे गये के २ नाम है ।। १. 'मोssनेटकमूकस्तु' इति पाअन्तरम् । १. 'मालगन्योऽमिभूतः स्मरामिति पाठान्तरम् । ३. 'निः इति पाठान्तरम। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016095
Book TitleAmar Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovind Shastri
PublisherChaukhamba Amarbharti Prakashan
Publication Year1968
Total Pages742
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size10 MB
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