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________________ ३२४ अमरकोषः। [हितीयकाण्डे -१ सरसाद मण्यमस्त्रियाम् । २ 'मासराजामनिसावा मण्डे भक्तसमुद्भवे ।। ४९॥ ३ यवागूणिका भाणा विलेपी तरखा च सा। ४ "म्रक्षणाभ्यञ्जने तैलं ५ कसरतु तिकीदन:' (३१) ६ गब्द त्रिषु गवां सर्घ ७ गोषिट् गोमयमखियाम् ॥ ५० ॥ तत्त शुपक करीषोऽस्त्री ९ दुग्ध क्षीरं पयः समम् । १० पयस्यमाज्यदध्यादि ११ द्रासं दधि घनेतरत् ॥ ५१ ।। सर्वसाप्रम (104), मण्यम ( पु), 'माई' के नाम हैं। २मासरः, आचाम:, मित्राय: (+विनायः मुकु०। ३ पु), 'भातक मांड के नाम हैं। वागा, उणिका, भाना, विलेपी, तरखा (५ सी), 'लपसी, लुआ' के ५ नाम हैं। (योहे गर्म पानी में पकाये गये चावल को 'अ', जोगुने पानी में 'विलेपी', चौगुने पानी में 'म', गुने पानी में 'यवागू', और महागुमे पानी में 'यूष रंज्ञाएँ 'भैषज्यरत्नावली' में कही गया; तथापि उक्त मेद यही विचित नहीं है)। [म्राणम, सभ्यअनम, तैलम (३ ), 'तेल' के नाम है] ५ [FRH ( + कृशरः, निसरः २ पु । सी), + तिदन: (पु), तिलयुक्त मन्त्र या विषड़ी' नाम है । ६गम्यम् (वि), 'गाय के दूध, दही, घी, गोबरमादि' का नाम है। • गोविट (= गोविष बी), गोमयम (मपु), 'गोवर' के नाम हैं। ८ करीषः (पुन), 'सूखे गोबर सर्थात् 'गोहरी, गोहग, गोइठा, उपला, कॅपरा धादि' का नाम है ॥ ९ दुग्धम् , जीरम पयः (= पथस। + गोरस:, अपस्यम, सोमनम, स्मन्यम् । ३ न), 'दुद्ध' के नाम हैं। १. पवस्यम् (वि) 'दूषसे बने हुए दही, बोवा, मकान, घी मादि पदार्थ का । नाम है। "प्सम् (+प्सम, अप्सम, पनाम म), पतले दही का नाम है। १. मासराचामविनावाति मुकुटः' इति मा.दी.।। २. मयं क्षेपकांशः क्षी० स्वा. व्याख्याने मूलरूपेणोपाम्यते॥ ३. 'स्यम्' इति मुकुटः' इति मा.दी.॥ ४. तदुक्तं भैषज्यरत्नावस्या समचत्वारिंशस्पृष्ठे चौ०सं० पुस्तकाव्यमुद्रिते भन्नं पत्रगुणे साध्यं विलेपी च चतुगुणे । मण्यश्चतुर्दशगुणे यवागू पड्गुणेऽम्मसि ॥ बटादशगुणे तोये यूषः शाहूपरेरितः ॥ इति ।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016095
Book TitleAmar Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovind Shastri
PublisherChaukhamba Amarbharti Prakashan
Publication Year1968
Total Pages742
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size10 MB
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