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________________ ३११ वैश्यवर्गः ९] मणिप्रभाव्याख्यासहितः। ___-१ आबन्धो योनं बोकमयो' फलम् | निरीशं कुटकं फालः कृषको ३ लागलं हलम् ॥ १३ ॥ गोदारणांच सीरो ऽथ शम्या स्त्री युगकोका। ५ ईषा लागलण्डः स्यात् ६ सीता लागलपद्धतिः ।। १४॥ ७ पुंसि "मेधिः रूले दार न्यम्तं यत्पशुबन्धने । ८ आशुव्रीहिः पाटलः स्यात् भाबन्धः (पु) योत्रम्, योक्त्रम् (२ न ), जोती, जोता' अर्थात् 'जुवामें बांधी जानेवाली रस्सी' के २ नाम हैं । २ फलम्, निरीशम (+ निरीषम् ), कुटकम् ( + कूटकम् । ३ न ), फाल:, कृषकः (+ कृषिकः पु, कृषिका स्त्री । २ पु), 'फार' के ५ नाम हैं । ( 'किसीके मतसे प्रथमवाले ३ नाम जिसमें फारको गाड़ा जाता है उस काष्टके और अन्तवाले २ नाम उक्तार्थक है')॥ ३ लाङ्गष्टम् , हलम् ( + हालः), गोदारणम् ( ३ न), सीरः ( +शीस।पु), 'हल' के ४ नाम हैं। ४ शम्या (स्त्री), युगकील कः (पु), 'सहला, जुमआठकी कील' के २ नाम हैं ॥ ५ ईषा (ईशा । स्त्री), लाङ्गल दण्डः (भा. दी०, पु), 'हरिश' के १ नाम हैं। ६ सीता (+शीता), लाङ्गल पद्धतिः (भा. दी. । सी), 'हराई अर्थात् 'हलके चलाने से पड़ी हुई लकीर' के २ नाम हैं । ७ मेधिः ( + मेथिः। पु), खलेदारु (भा० दी. पुन) 'मेह' अर्थात् 'देवनी करने के समय बैलोंके रस्सी बांधे जानेवाले बड़े टे' के २ नाम हैं। ८ आशुः (+ न) व्रीहिः (+भाशुव्रीहिः पु), पाटलः (+पाहिः । १पु), 'साठी' अर्थात् 'साठ दिनमें तैयार होनेवाले धान' के नाम है। १.अत्र 'लम्' इति पाठमुक्त्वा 'तोहरूप्रकरणमारम्बामस्यर्थः इति श्री. वा. मा: २. निरीशं कूटकं फालः कृषिकः' इति पाठान्तरम् ॥ ३. 'मेथिः इति पालन्तरम् ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016095
Book TitleAmar Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovind Shastri
PublisherChaukhamba Amarbharti Prakashan
Publication Year1968
Total Pages742
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size10 MB
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