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________________ स्त्रिषवर्ग:.] मणिप्रभाव्याख्यासहितः । २८३ १ याने चक्रिणि युद्धार्थ शताङ्गः स्यन्दनो रथः। २ असो 'पुण्यरथश्चक्रयानं न समराय यत् ॥५१॥ ३ कीरथः प्रवहणं डयनं च समं त्रयम् । ४ क्लीबेऽनः शकटोऽस्त्री स्याद् ५ गन्त्री कम्बलिवाह्यकम् ।। ५२ ।। ६ शिविका याम्ययानं स्याद् ७ दोला प्रेवादिका स्त्रियाम् । ८ उभौ तु द्वैपर्वयाघ्रौ द्वीपिचर्मावृते रथे ॥ ५३॥ ९ पाण्डुकम्बलसंवीतः स्यन्दनः पाण्डुकम्बली। १० रथे काम्बलवास्त्राद्याः कम्बलादिभिरावृते ॥५४॥ १ शताङ्गः, स्यन्दनः, ग्यः (३ पु), 'लड़ाईके रथ' के ३ नाम हैं। ('यहाँसे आगे श्लोक ६तक 'रथ-प्रकरण' है')॥ २ पुष्यस्था ( + पुष्परथः। ), 'यात्रा, उत्सव आदि में चढ़नेके लिये बनाये हुए रथ' का । नाम है। ३ करिथः (पु), प्रवहणम , डयनम् (+हयनम् । २ न ), 'स्त्रियोंके चढ़नेके लिये पर्दा आदिसे आड़ किये हुए रथ' के ३ नाम हैं । ४ अनः (= अनस , न), शकटः (पु न ), 'गाड़ी' के २ नाम हैं । ५ गन्त्री (स्त्री), कम्बलिवाचकम् (मा. दी। + गन्त्रीकम , बलिवाहा कम् । न ), 'छोटी गाड़ी के २ नाम है ॥ ६ शिबिका(+ शीविका।बी), याप्ययानम् (न), 'पालकी' के २ नाम हैं। ७ दोल्ला (+ दोली), प्रेङ्खा, आदि ('शय नखट्वा,......" । २ स्त्री), 'झूला, हिंडोला' के २ नाम हैं । ८ द्वैपः, वैयाघ्रः (१ त्रि), 'बाघके चमड़ेसे मढ़े हुए रथ' के २ नाम हैं। पाण्डकम्बली (+पाण्दुकम्बलिन् , त्रि), 'पाण्डु (धूसर ) कम्बल. से मढ़े या ढके हुए रथ' का । नाम है ॥ १० काम्बलः, वासः (१ त्रि), आदि 'कम्बल और कपड़े आदिले ढके हुए रथ' का क्रमश: 1-1 नाम है। १. 'पुष्परपश्चक्रयानं पति पाठान्तरम् ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016095
Book TitleAmar Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovind Shastri
PublisherChaukhamba Amarbharti Prakashan
Publication Year1968
Total Pages742
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size10 MB
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