SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 307
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अमरकोषः [द्वितीयकाडे -१ तयोर्मध्ये विदुः पुमान् ॥ ३७॥ २ अवग्रहो ललाट' स्या३दीषिका त्वक्षिकूटकम् । ५ अपाङ्गदेशो निर्याणं ५ कर्णमूलं तु चूलिका ।। ३८॥ ६ अधः कुम्भस्य वाहित्थं ७ प्रतिमानमयोऽस्य यत् । ८ मासनं स्कन्धदेशः स्यात् ९ पद्मकं बिन्दुजालकम् ॥ ३९ ॥ - - , विदुः (पु), 'हाथीके मस्तकके ऊपरवाले दोनों मांसपिण्डोके बीचवाले भाग' का । नाम है ॥ २ अवग्रहः ( + अवग्राहः । पु), हाथीके ललाट' का । नाम है । ३ ईषिका ( + ईषीका, इषिका, इषीका । स्त्री), अतिकूटकम् (न) 'हाथीकी आँखके गोलाकार भाग' के २ नाम हैं ॥ ४ निर्याणम् (न), 'हाथीकी आँस्त्र के किनारेषाले भाग' का , नाम है॥ ५ चूलिका (स्त्री), 'हाथीकी कनपट्टी' ( कानकी जपवाले भाग) का नाम है ॥ ६ वाहिस्थम् (न ), 'हाथीके शिरके ऊपरवाले दोनों मांस-पिण्डके नीचेवाले भाग' का १ नाम है ॥ • प्रतिमानम् (न), हाथीके दोनों दाँतोंके बीचधाले भाग' का नाम है। ८ आसनम् (न), 'हाथीका कन्धा' अर्थात् 'हाथीवान के बैठने की जगह' का नाम है। ९ पद्मकम् , बिन्दुजालकम् (भा० दी। + विन्दुजालकम् । १ न), 'हाथियोंके मुख में कमलाकारछोटे २लाल चिह्न विशेष के २ नाम हैं । १. 'स्यादिषीकाः' इति पाठान्तरम् ।। २. यदा पालकाप्यः 'तत्र रक्षाविताने द्वे विदू दो प्रवणे गतौ । प्राक्च पश्चाच तिर्यक्च षड्भेदाइकुशवारणा ॥१॥ 'तबारक्षविताने रस्येवं पाठभेदः ममि.चिन्ता०(४१२९२) पाल्पाने समुपलभ्यते ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016095
Book TitleAmar Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovind Shastri
PublisherChaukhamba Amarbharti Prakashan
Publication Year1968
Total Pages742
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy