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________________ २३४ अमरकोषः। [द्वितीयकाण्डे१ कर्पूरागुरुकस्तूरीककोलैर्यक्षकर्दमः २ गात्रानुलेपनी वर्तिवर्णकं स्याविलेपनम् ॥ १३३ ॥ ३ चूर्णानि बासयोगाः स्युटर्भावितं वालितं त्रिषु । ५ संस्कारो गन्धमाल्याधैर्यः स्यात्तदधिवासमम् ।। १३४ ॥ ६ माल्यं मालास्रजो मूनि 1 'यकर्दमः (पु), 'कपूर, अगर, कस्तूरी और कङ्कोल, इन चारोको बराबर-बराबर देकर बनाये हुए लेप-विशेष' का नाम है ॥ २ गानानुलेपनी, वतिः (२ स्त्री), धर्णकम् , विलेपनम् (२न), 'लेप करने के लिये पीसे या घिस्से हुए गन्धद्रव्य विशेष' के ४ नाम हैं। (सी. स्वा. मत से दो-दो शब्द एकार्थक हैं। _____३ चूर्णम् (न), वासयोगः (पु), 'कपड़े आदिको सुवासित करनेके योग्य चूर्ण किये हुए गन्धद्रव्य-विशेष' के २ नाम हैं ॥ ४ भावितम, दायितम (२ त्रि ), 'सुवासित कपड़ा आदि' के २ नाम हैं। ('क्षी० स्वा० मतसे गन्ध द्रव्य अर्थात् इतर आदिसे सुगन्धित किये हुए कपड़े आदिको 'भावित' और केतकी, वेवड़ा या गुलाब आदि से सुगन्धित किये हुए कपड़े आदिको 'चालित' कहते हैं')॥ ५ अधिवासनम् (न), 'गुलाबजल या सुगन्धित फूल आदिसे पान, तिल आदिका सुवासित करने का नाम है ॥ ६ माल्थम (न), माला, स्त्रक ( = स्रज् । २ स्त्री), 'शिरसे धारण की हुई माला' के ३ नाम हैं। ( 'यहाँ 'मूनि' शब्दके अविवक्षित होनेसे १. तदुक्तं व्याडिना 'कर्पूरागुरुकरतूरीककोलघुसूणानि च । एकीकृतमिदं सर्व यक्षकदम इष्यते ॥ १॥ इती॥ धन्वन्तरिस्तु मिन्नमेवाह । तद्यथा 'कुङ्कमागुरुकस्तूरीकपरं चन्दनं तथा। मासुगन्धमित्युक्तं नामतो यक्षकर्दमः ॥ १॥ इति । २. गात्रानुलेपनी वर्तिविंगन्ध्यथ विलेपनम् । वर्णकञ्चाथ विच्छित्तिः स्त्री कषायोऽङ्करागके ॥१॥ इति रमसोक्तिमनुसत्येदमित्यवधेयम् ।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016095
Book TitleAmar Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovind Shastri
PublisherChaukhamba Amarbharti Prakashan
Publication Year1968
Total Pages742
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size10 MB
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