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________________ १६८ अमरकोषः। [द्वितीयकाण्डे - १ समानोदर्यसोदर्यसगर्यसहजाः समाः । २ सगोत्रबान्धवज्ञातिबन्धुस्वस्वजनाः समाः ॥३४॥ ३ ज्ञातेयं ४ बन्धुता तेषां क्रमाद्भावसमूहयोः । ५ धवः प्रियः पतिर्भर्ता ६ जारस्तूपपतिः समौ ॥ ३५ ॥ ७ अमृते जारजः कुण्डो ८ मृते भर्तरि गोलकः । ९ भ्रात्रीयो भ्रातृजो १० भ्रातृभगिन्यौ भ्रातरावुभौ ।। ३६ ॥ १ समानोदर्यः, सौदर्यः ( + सोदरः, सहोदरः ), सगऱ्याः, सहजः (४ पु), 'सहोदर भाई' अर्थात् 'एक मानाचे उत्पन्न भाई' के ४ नाम हैं। २ सगोत्रः, बान्धवः, ज्ञातिः, बन्धुः, स्वः (यह सर्वनाम:संज्ञक है), स्वजनः ( ६ ), 'सगोत्र, अपने खास स्वान्दान' के ६ नाम हैं ॥ ३ ज्ञानेयम् ( न ), 'जातियोंके धर्म या भाव' का । नाम है ॥ ४ बन्धुना (स्त्री), 'बाधुओंके समूह' का , नाम है ॥ ५ धवः, प्रियः, पतिा, भर्ता ( = भई । ४ पु), 'पति' के ४ नाम हैं। ६ जारः, उपपतिः (२ पु), 'जार' अर्थात् 'अप्रधान पनि' के २ नाम हैं । ___ 'कुण्डः (पु), 'पतिके जीते रहनेपर जारसे पैदा हुए लड़के' का १ नाम है। ८ गोलकः (पु), 'पति के मरनंपर जारसे पैदा हुए लड़के' का , नाम है ॥ ९ भ्रात्रीय: ( + भ्रातृष्यः), भ्रातः ( २ पु ), 'भतीजा अर्थात् भाई के लड़के का नाम है ॥ १० भ्रातृभगिन्या ( भा. दी• मन ), भ्रातरी ( = भार, । २ पु नि. द्विव० ), 'भाई-बहन' के २ नाम हैं। ("जब भाई और बहन को एक साथ कहना हो तश्व इसका प्रयोग होता है । इसी तरह "भार्यावती च तौ" (२ । ६ । ३८) तक जानना चाहिये")॥ १-२. तदुतम् - "परदारेषु जायते दो मुतौ कुण्डगोलको ।। पत्यो जीववि : स्वाम्मृते मर्तरि गोलकः" ॥१॥ इति मनुः ३२१७४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016095
Book TitleAmar Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovind Shastri
PublisherChaukhamba Amarbharti Prakashan
Publication Year1968
Total Pages742
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size10 MB
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