SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 219
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १६० अमरकोषः [ द्वितीयकाण्डे १ इच्छावती कामुका स्याद् २ वृषस्यन्ती तु कामुकी ॥ ९ ॥ ३ कान्तार्थिनी तु या याति संकेतं साऽभिसारिका । ४ पुंश्चली 'धर्षिणी बन्धक्यतो कुलटेवरी ॥ १० ॥ स्वैरिणी पांशुला च स्या५दशिश्वी शिशुना विना । ६ अधीरा निष्पतिसुता ७ विश्वस्ताविधवे समे ।। १९ ॥ आतिः सखी वयस्याऽथ ९ पतिवत्नी सभर्तृका । ८ १ इच्छावती, कामुका (२ख), 'किसी पदार्थको चाहने वाली स्त्री' के २ नाम हैं ॥ २ वृषस्यम्ती, कामुकी (२ख) 'बैल घोड़े की तरह अधिक मैथुनको इच्छा करनेवाली स्त्री' के २ नाम हैं ॥ ३ अभिसारिका (स्त्री), 'रतिके लिये अपने पति या जारके संकेत किये हुए स्थानपर जानेवाली या जार वा पतिको संकेत - स्थानपर बुलानेवाली स्त्री' का १ नाम " v gæst, afdoit ( +adnì, vqnì:, adfù:) arusì, xađî, कुलटा, इश्वरी, स्वैरिणी, पांशुला ( + व्यभिचारिणी । < al ), 'sufharरिणी स्त्री' के ८ नाम है ॥ ५ अशिश्वी (स्त्री) 'वंशहीन स्त्री' का १ नाम है ॥ ६ अवीरा ( स्त्रो) 'पति और पुत्रसे दीन स्त्रो' का १ नाम है ॥ ७ विश्वस्ता, विधवा ( २ ) 'विधवा स्त्री' के २ नाम हैं ॥ ८ आलिः, सखी, वयस्या ( ३ स्त्री ) 'सहेली' के ३ नाम हैं | ९ पतिवन', सभर्तृका ( ३ स्रो) 'सधवा स्त्री' के २ नाम हैं ॥ १. 'चर्षणी' इति धर्षणी' इति च पाठान्तरम् ॥ २. अभिसारिकाया लक्षणान्याहुः । तद्यथा - 'हित्वा लज्जामये श्रिष्टा मदनेन मदेन च । अभिसारयते कान्तं सा भवेदभिसारिका ॥ १ ॥ इति भरतः ॥ 'कामार्ताऽभिसरे स्कान्तं सारयेद्वाऽभिसारिका' | दशरूपक २।३७ इति ॥ अभिसारयते कान्तं या मन्मथवशंवदा । स्वयं वाऽमिसरस्येषा धीरैरुक्ताऽभिसारिका' ॥ १ ॥ सा० द० ३।११८ इति ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016095
Book TitleAmar Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovind Shastri
PublisherChaukhamba Amarbharti Prakashan
Publication Year1968
Total Pages742
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy