SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 215
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १८६ अमरकोषः। [ द्वितीयकाण्डे१ पशूनां समजो२ऽन्येषां समाजो३ऽथ सर्मिणाम् । स्यानिकायः ४ पुखराशी तूत्करः कूटमस्त्रियाम् ॥ ४२ ॥ ५ कापोतशोकमायूरतैत्तिरादीनि तद्गणे । ६ गृहासक्ताः पक्षिमृगाश्छेकास्ते गृह्यकाश्च ते ॥४३॥ इति सिंहादिवर्गः ॥५॥ का १ नाम है। जैसे-मृगयूथम् , गजयूथम , बर्हियूथम् ,.....' ॥ १ समजः (पु), 'केवल पशुओं के समूह' का १ नाम है। (जैसेगोसमजा,.....')॥ २ समाजः (पु) पशुसे भिन्न जातिवालोंके समूह' का । नाम है। (जैसे-'श्रोत्रियसमाजः, ब्राह्मणसमाजः,.......' ) ॥ . ३ निकायः (पु), 'पक जातिवालों के समूह' का , नाम है। (जैसे-ब्राह्मणनिकायः, गोनिकायः, श्रमणनिकायः,.......' )॥ ४ पुनः ( + पिञ्जः), राशिः तरकर (३ पु) कूटम् (न पु), 'अन्न इत्यादिकी ढेरी' के ४ नाम हैं । ('जैसे-धान्यराशिः, तृणराशिः,.....)॥ ५ कापोतम् , शौकम् , मायूरम , तैत्तिरम् ( ४ न ), आदि ('आदिसेकौक्कुटम् , काकम् ,......" ), 'कबूतर, सुग्गा, मोर और तीतर' आदि (धादिसे-मुर्गा और कौआ,......' ) के समूह' का क्रमशः १-१ नाम है ॥ छेकः, गृह्यकः ( २ पु), 'पालतू पशु-पक्षी' अर्थात् 'जल में पाले हुए तोता, मोर, मैना आदि पक्षी और मृग आदि पशुओं के २ नाम हैं । इति सिंहादिवर्गः ॥५॥ 'निकरनिकायविसरव्रजपुञ्जसमूहसञ्चयाः समुदयसार्थयूथनिकुरम्बकदम्मकपूगराशयः । चयसमवायवृन्दसन्दोहसमाजवितानसंहतिप्रकरधनौघसंघसंघातवातकुलोत्कराः स्मृताः ॥ (अमि० रन० ४११) इति चोक्त्वा मागुरिहलायुधौ सङ्घसार्थयूथपुजाना पर्यायतामाइतुः' इत्यवधेयम् ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only ___www.jainelibrary.org
SR No.016095
Book TitleAmar Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovind Shastri
PublisherChaukhamba Amarbharti Prakashan
Publication Year1968
Total Pages742
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy