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________________ वनौषधिः ४] मणिप्रभाब्याख्यासहितः । १२६ १ आमे फले शलाटुः स्या २ च्छुके वानमुभे त्रिषु ॥१५॥ ३ क्षारको जालकं क्लीबे ४ कलिका कोरकः पुमान् । ५ 'स्याद् गुच्छकस्तु स्तबकः ६ कुडयलो मुकुलोऽस्त्रियाम् ॥१६॥ ७ स्त्रियः सुमनरः पुष्पं प्रसून 'कुसुमं सुमम् । - मकरन्दः पुष्पारसः ९ परामः सुमनोरजः । १७ ।। १० द्विहीनं प्रसवे सर्व१ शलाटुः ( त्रि), 'कच्चे फर' ! १ नाम है ॥ २ आनम् (त्रि), 'सूखे फल' का । नाम है ॥ ३ क्षारक (पु), जालकम् (न), 'नई कली या कलियोंके समूह' के २ नाम हैं। ४ कलिका( स्त्री), कोरकः (पु), 'कोंढ़ी' अर्थात् 'विना खिले हुए फूल' के २ नाम हैं । ५ गुच्छकः ( + गुच्छः, गुटपकः, गुरलः), स्तबकः ( २ पु), महे० मतसे 'कलियोसे छिपी हुई गांठ' और भा० दी० मतसे शीघ्र खिलनेवाली कली' के और अन्य मतसे 'फूल या फल आदिके गुच्छे' के २ नाम हैं । ६ कुड्मलः ( + कुटमलः ), मुकुलः (२ पु न ), 'अधखिली कली' के १ नाम हैं॥ ७ सुमनसः ( = सुमनल , नि० स्त्री ब० व० । + ए० व०३), पुष्पम्, प्रसूनम्, कुसुमम्, सुमम् (४ न), 'फल' के ५ नाम हैं। ८ मकरन्दः, पुष्परसः (२ पु), 'फलके रस' के २ नाम हैं। ९ परागः (पु), सुमनोरजः ( = सुमनोरजस्, न ) 'फूलके पराग' के २ नाम हैं। १. पहले कहे हुए शब्दों का सामान्यतः लिङ्गनिर्देश करने के उपरान्त 'द्वि१. 'स्याद्गुत्सकस्तु स्तवकः कुट मलो' इति पाठान्तरम् ॥ २. कुसुमं समम्' इति पाठान्तरम् ॥ ३. 'सुमनाः पुष्पमालत्योः' ( मेदि० पृ० १९० श्लो० ६७) इति सान्तवर्गे मेदिन्युक्त, 'पुष्पं समनाः कुसुमम्' इति नाममालोक्तः, "सुमनाः प्राचदेवयोः। जात्याः पुष्पे....." (अने० सं० ३१७६०) इति हैमोक्तेश्चैत्यवधेयम् ।। ६ अ० www.jainelibrary.org Jain Education International For Private & Personal Use Only
SR No.016095
Book TitleAmar Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovind Shastri
PublisherChaukhamba Amarbharti Prakashan
Publication Year1968
Total Pages742
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size10 MB
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