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________________ ८१ पातालभोगिवर्गः ८] मणिप्रभाव्याख्यासहितः। १ तन्द्री प्रमोला २ भ्रकुटिर्धकुटिभ्रंकुटिः स्त्रियाम् । ३ अदृष्टिः स्यादसौम्येऽणि ४ संसिद्धिप्रकृती त्विमे ॥ ३७ ।। स्वरूपं च स्वभावश्च निसर्गश्चा५थ वेपथुः। कम्पोऽ६थ क्षण उद्धर्षो मह उद्धव उत्सवः॥ ३८ ॥ इति नाट्यवर्गः ।। ७॥ ८. अथ पातालभोगिवर्गः। ७ अधोभुवनपातालं बलिसा रसातलम् । नागलोकोऽथ कुहरं 'शुधिर विवरं बिलम् ॥ १॥ । तन्द्री (. + तन्द्रिः, नन्द्रा), प्रमीला (२ स्त्री ), 'तन्द्रा होने' अर्थात् 'अधिक थकावट आदि के कारण शरीरेन्द्रियों के शिथिल होने या नींद के आदि और अन्त में आलस्य होने के २ नाम हैं ॥ __ २ भ्रकुटिः, भ्रुकुटिः, भ्रूकुटिः (+ भृकुटिः । ३ स्त्री ), 'क्रोध आदिसे भौंहको टेढा करने के ३ नाम हैं। ___ ३ अदृष्टिः (स्त्री), 'क्रूरतापूर्वक देखने' का । नाम है ॥ ४ संसिद्धिः, प्रकृतिः (२ स्त्री), स्वरूपम् (न), स्वभावः, निसर्गः (२ पु), 'स्वभाव' के ५ नाम हैं ॥ ५ वेपथुः, कम्पः (२ पु), 'काँपने' के २ नाम हैं । ६ क्षणः, उद्धर्षः, महः, उद्धवः, उत्सवः (५ पु), 'उत्सव' के ५ नाम हैं। इति नाटयवर्गः ॥७॥ raNai. ८. अथ पातालभोगिवर्गः। ७ अधोभुवनम् ( + अधः, अ.), पातालम् , बलिसन (= बलिसमन्), रसातलम् (४ न), नागलोका (पु। + अधोलोकः), 'पाताल' के ५ नाम हैं। ८ कुहरम , शुषिरम् (सुषिरम् ), विवरम , बिलम् (+विलम्), १. ....."सुधिरं विवरं विलम्' इति पाठान्तरम् । Jain Ede Onternational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016095
Book TitleAmar Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovind Shastri
PublisherChaukhamba Amarbharti Prakashan
Publication Year1968
Total Pages742
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size10 MB
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